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म्यांमार के सैन्य शासन ने फिर चुनाव को टाला

रंगूनः म्यांमार की सैन्य सरकार ने आपातकाल की स्थिति को 31 जनवरी तक छह महीने के लिए बढ़ा दिया है, जिससे इस साल आम चुनाव होने की उम्मीद धूमिल हो गई है। सत्तारूढ़ राज्य प्रशासन परिषद के प्रवक्ता मेजर जनरल ज़ॉ मिन तुन ने कहा, राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा परिषद ने आपातकालीन विस्तार को मंजूरी दे दी।

एक लोकतांत्रिक सरकार के अपदस्थ कर जबरन सत्ता पर कब्जा जमाने के बाद से ही हर बार सैन्य शासक देश में चुनाव को टालने के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं। नागरिकों का मानना है कि यह सैन्य अधिकारी अब देश में चुनाव कराना ही नहीं चाहते हैं।

इसी वजह से अब अनेक इलाकों में नागरिकं ने भी सैन्य शासन के खिलाफ हथियार उठा लिये हैं। नागरिक प्रतिरोध के नाम पर कई हिस्सों में सेना के खिलाफ छापामार युद्ध तेज हो गया है। इसका नतीजा है कि सेना को कई स्थानों पर विद्रोहियों को नियंत्रित करने के लिए आसमान से हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर से हमला करना पड़ा है।

म्यांमार के इस गृह युद्ध की वजह से कई अवसरों पर सेना के गोले पड़ोसी देश बांग्लादेश और भारत के इलाकों में भी जा गिरे हैं। जिसके बाद से दोनों ही देशों की सेना ने चेतावनी देने के साथ साथ सीमा पर अपनी सेना को भी सतर्क कर रखा है। सैन्य शासन की दमनात्मक कार्रवाइयों के दौरान कई बौद्ध मठों को ध्वस्त कर भिक्षुओं की हत्या की वजह से भी जनता इस सैन्य शासन के खिलाफ हो गयी है।

वैसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश में चुनाव कराते हुए लोकतांत्रिक शासन बहाल करने के निर्देश को भी यहां के सैन्य शासक ने धता बता दिया है। अब इस बार भी चुनाव को छह महीने के लिए टालने की घोषणा होने क बाद ऐसा माना जा रहा है कि अब देश के विभिन्न इलाकों में सेना के खिलाफ छापामार युद्ध और तेज हो जाएगा।

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