अंग्रेजी में एक प्रचलित कहावत है कि जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड। यानी देर से न्याय मिलना भी न्याय नहीं मिलने के बराबर है। अब देश के महिला पहलवानों का मुद्दा केंद्रीय सत्ता के नहीं चाहने के बाद भी देश का मुद्दा बन गया है। आम तौर पर विवादों से बचकर चलने वाले क्रिकेट खिलाड़ियों के कई प्रमुख चेहरे जब इस पर बयान देने लगे तो समझा जा सकता है कि पानी अब सर के ऊपर जा रहा है।
चुनावी मौसम है मोदी जी, हर बात अपनी बात के आगे सामने वाले को रौंद देने की सोच आपके साथ साथ शायद भाजपा का भी बेड़ा गर्क कर सकती है। देश की राजनीति का माहौल बदल चुका है और अब हिंदू मुसलमान कार्ड के मुकाबले आम आदमी रोटी और रोजगार की बात करने लगा है।
इसलिए इतनी देर मत कर दीजिए कि स्टेशन से गाड़ी ही निकल जाए। अब तो छिपाने लायक भी कुछ नहीं बचा। अंग्रेजी समाचारपत्र इंडियन एक्सप्रेस ने तो उस प्राथमिकी को सार्वजनिक कर दिया है, जिसमें अनेक गंभीर किस्म के आरोप लगाये गये हैं। दूसरी तरफ राहुल गांधी अमेरिका में भी हंसते हुए जो मुद्दे उठा रहे हैं, उससे पूरी भाजपा को परेशानी है। यह अलग बात है कि उन मुद्दों का अमेरिका से कोई सीधा लेना देना नहीं है पर वह भी एक लोकतांत्रिक देश है और वहां से गूंजने वाले स्वर पूरी दुनिया में ध्यान से सुने जाते हैं।
.यह तो रही भाजपा और मोदी जी की बात। अब कांग्रेस को भी तौल ही लें। अरविंद केजरीवाल के अध्यादेश वाली बात पर फैसला लेने में इतना विलंब भी खतरे की घंटी है। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अरविंद केजरीवाल को अपना समर्थन दे दिया है। यूं तो केजरी बाबू अब भी कांग्रेस से समर्थन की उम्मीद लगाये बैठे हैं मगर सवाल को देश की जनता के बीच जाने वाले संदेश का है।
भाजपा विरोधी दूसरे दलों की शिकायत भी यही है कि कांग्रेस फैसला लेने के मामलों में सिर्फ अपना फायदा देखती है। अब अगर दिल्ली वाले अध्यादेश का समर्थन करें तो यह उस केजरीवाल के समर्थन में होगी, जिसने दिल्ली और पंजाब से कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया है। गुजरात में भी कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी एक बड़ा कांटा बनी है। ऐसे में करें तो क्या करें।
इसी बात पर फिल्म तवायफ का यह गीत याद आने लगा है। इसे लिखा था हसन कमाल ने और संगीत में ढाला था रवि ने। इसे आशा भोंसले ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।
बहुत देर से दर पे आँखे लगी थी हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
बहुत देर से दर पे आँखे लगी थी हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
बहुत देर से दर पे आँखे लगी थी हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
मसीहा मेरे तूने बीमारे ग़म की दवा लाते लाते बहुत देर कर दी
दवा लाते लाते बहुत देर कर दी मुहब्बत के दो बोल सुनने न पाए
वफ़ाओं के दो फूल चुनने न पाये मुहब्बत के दो बोल सुनने न पाए
वफ़ाओं के दो फूल चुनने न पाये तुझे भी हमारी तमन्ना थी ज़ालिम
तुझे भी हमारी तमन्ना थी ज़ालिम बताते बताते बहुत देर कर दी
बताते बताते बहुत देर कर दी
बहुत देर से दर पे आँखे लगी थी हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
कोई पल में दम तोड़ देंगी मुरादें बिखर जाएँगी मेरे ख़्वाबों की यादें
कोई पल में दम तोड़ देंगी मुरादें बिखर जाएँगी मेरे ख़्वाबों की यादें
सदा सुनते सुनते खबर लेते लेते सदा सुनते सुनते खबर लेते लेते
पता पाते पाते बहुत देर कर दी पता पाते पाते बहुत देर कर दी
बहुत देर से दर पे आँखे लगी थी हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी
हुज़ूर आते आते बहुत देर कर दी बहुत देर कर दी बहुत देर कर दी
बहुत देर कर दी बहुत देर कर दी
देखते हैं कि बारह तारीख को पटना में अपने नीतीश भइया क्या गुल खिला रहे हैं। लेकिन रिजल्ट चाहे जो भी निकले, मोदी जी को टेंशन देने वाला काम तो पूरा कर ही दिया है। गैर भाजपा मुख्यमंत्रियों ने नेताओं को एकजुट कर वह 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले माहौल बनाने में तो कामयाब हो गये हैं।
चलते चलते मणिपुर की भी बात कर लें। बड़ी मुश्किल से वहां शांति बहाल हो रही है। हथियार भी सौंपे जा रहे हैं। इसके बाद भी कूकी विधायकों का वर्तमान सरकार से मोहभंग कोई छोटी बात नहीं है। इस नाराजगी के अंदर दरअसल क्या है, उसे समझने की जरूरत है। म्यामार से सीमा सटने की वजह से भी इस राज्य की परेशानियों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। पूर्वोत्तर में अगर शांति लौट रही है तो उसे कायम रखने का हर संभव प्रयास होना ही चाहिए।