इस्लामाबादः युद्धग्रस्त यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनके साथ खड़े होने को कहा है। इसी बीच पता चला कि पाकिस्तान टैंकों और रॉकेटों से भरे 230 कंटेनर यूक्रेन भेजने की योजना बना रहा है। बदले में, इस्लामाबाद को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से एक बड़ा वित्तीय पैकेज प्राप्त होगा।
यह सूचना तब बाहर आ रही है जबकि पाकिस्तान का मददगार चीन अभी रूस के साथ खड़ा है। जानकार मानते हैं कि देश की ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था की वजह से अब पाकिस्तान की यह मजबूरी हो गयी है कि वह पश्चिमी देशों के सारे निर्देशों का पालन करे।
मालूम हो कि पाकिस्तान के दो जहाज एमवी बोकराम और एमवी खेरसॉन अप्रैल में कराची बंदरगाह से यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति शुरू करेंगे। जहाजों में अमेरिकी और यूरोपीय झंडे होंगे। दोनों पोत पोलैंड और जर्मनी के बंदरगाहों के जरिए हथियारों की आपूर्ति करेंगे। एक मीडिया के मुताबिक इसके बदले में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से साढ़े सात अरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक पैकेज मिलेगा।
संयोग से ऐसी अफवाह है कि पाकिस्तान अप्रैल से रूस से कम कीमत पर ईंधन खरीदने जा रहा है। हालांकि अभी तक दोनों देशों के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया है। लेकिन इसी बीच पाकिस्तान हथियारों से यूक्रेन की मदद करने जा रहा है, ये अफवाह भी उड़ी है। अब इस सूचना के बाद रूस से उसे सस्ता तेल मिल पायेगा इस पर भी संदेह के बादल मंडराने लगे हैं।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ महीनों से बद से बदतर होती जा रही है। उनके पास कायापलट के लिए आईएमएफ पर भरोसा करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में शाहबाज प्रशासन ने यूक्रेन को हथियार भेजने का फैसला किया। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एक वर्ष से अधिक समय से रूस और यूक्रेन के बीच भयंकर युद्ध चल रहा है। शुरुआत में तो रूसी सेना युद्ध के मैदान में सफल रही, लेकिन समय के साथ यूक्रेन की सेना भारी होती चली गई।