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अत्यंत प्रभावशाली रही आईपीएस लिपि सिंह का सहरसा से तबादला

  • बिहार में 2016 बैच की अधिकारी पर ढेर सारे आरोप

  • पप्पू देव की पुलिस हिरासत में मौत पर भी चर्चा

  • मुंगेर दुर्गा पूजा गोली कांड में भी जनता नाराज

दीपक नौरंगी

पटनाः बिहार में दो दिन पहले बड़े पैमाने पर आईएएस और आईपीएस अधिकारी का तबादला हुआ है। इस तबादले में पति पत्नी के तबादले को लेकर कई तरह की चर्चाएं आईएएस और आईपीएस में महकमें में देखी जा रही है कि बिहार में महिला आईपीएस लिपि सिंह इतने कम सालों में इतने लंबे आरोपों की बौछार क्यों?

सहरसा एसपी लिपि सिंह जिनका तबादला डेहरी कमांडेंट दो के रूप में हुआ है और उनके पति पूर्णिया डीएम हुआ करते थे उनको औरंगाबाद का डीएम बनाया गया है। बाढ़ में एएसपी के रूप में तैनात लिपि सिंह सबसे पहली बार विवादों में आई मामला अनंत सिंह से जुड़ा हुआ था। इस मामले में अनंत सिंह के समर्थन में खुलेआम लिपि सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए। अनंत सिंह के समर्थक खुलेआम लिपि सिंह का विरोध भी करते रहे उसके बाद लिपि सिंह का तबादला हो जाता है और उन्हें मुंगेर का एसपी बनाया जाता है।

मुंगेर गोली कांड पर देखिये यह खास रिपोर्ट

मुंगेर एसपी लिपि सिंह के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद एक व्यक्ति का नाम उनके साथ जुड़ा। कुछ लोग कहते हैं पहले किसी समाचार पत्र में वह व्यक्ति पत्रकार के रूप में भी कार्य कर चुका है। मुंगेर में दुर्गा विसर्जन के दौरान एक श्रद्धालु अनुराग पोद्दार की गोली लगने से मौत होती है। सीधा आरोप मुंगेर पुलिस और लिपि सिंह पर लगता रहा है और एक तथाकथित व्यक्ति जिसका नाम कृष्ण कुमार है, मुंगेर के दुर्गा विसर्जन के मामले में देखा गया।

चुनाव आयोग के निर्देश के बाद लिपि सिंह का तबादला पटना मुख्यालय कर दिया जाता है। जैसे ही बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनती है तुरंत महीने नहीं गुजरते हैं की लिपि सिंह को सहरसा का एसपी बना दिया जाता है। कुछ बड़े राजनीतिक का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कैरियर में यहां सबसे बड़ी गलती की है। राजनीतिक लोगों का मानना है कि यह निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए उचित नहीं था।

एक साल के बाद ही लिपि सिंह को किसी जिले का पुलिस कप्तान बनाया जा सकता था क्योंकि मुंगेर में दुर्गा विसर्जन के दौरान हुए तुरंत बवाल के बाद नीतीश कुमार की सुशासन सरकार बिहार में बनती है और लिपि सिंह को तुरंत सहरसा का एसपी बनाए जाने पर सवाल उठना तो लाजमी था।

लिपि सिंह फिर सुर्खियों में आती है जब सहरसा में पप्पू देव की पुलिस हिरासत में मौत हो जाती है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कई गहरे जख्म खुद जीता जागता उदाहरण है कि किस तरह पुलिस की पिटाई से पप्पू देव की मौत हुई है। पप्पू देव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद सहरसा में लिपि सिंह के खिलाफ सड़क जाम और टायर भी जलाए जाते हैं लेकिन कुछ नहीं होता है।

केंद्रीय जांच एजेंसी की निगाहें जरूर एसपी लिपि सिंह पर होगी

देश में बैठी बड़ी बड़ी जांच एजेंसी की निगाहें तो लिपि सिंह की कार्यशैली तक तो जरूर गई होगी। राजनीतिक लोगों का मानना है कि रामचंद्र प्रसाद सिंह उर्फ आरसीपी सिंह कि अपनी व्यक्तिगत यह मजबूरी होगी कहीं उनकी पुत्री मतलब बेटी लिपि सिंह पर लगे आरोप की जांच केंद्र सरकार सीबीआई से ना करा दे इसीलिए आरसीपी सिंह अंदर ही अंदर भाजपा नेताओं से हाथ मिला लिया है।

इसीलिए परिस्थितियां बदली और आज आरपी सिंह और नीतीश कुमार दोनों अलग-अलग तो दिखते हैं लेकिन अंदर अंदर क्या है यह कहना कठिन है। बिहार में सबसे ज्यादा प्रभावशाली अफसर माने जाने वाली लिपि सिंह का कौन कुछ बिगाड़ सकता है ऐसी चर्चा आज की प्रशासनिक आला अधिकारियों में होती रहती है?

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