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तीसरा मोर्चा बनाने की मुहिम को पहले ही लगा झटका

  • केसी राव ने सूचना भेजी बीमारी की

  • ममता बोल चुकी हैं अकेले ही लड़ेंगी

  • अन्य दलों ने न्योता का जबाव नहीं दिया

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पहली कोशिश शायद नाकामयाब हो गयी है। आगामी लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस को दरकिनार करने और तीसरा भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की हताश आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की योजना विफल हो गई है। सात विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रात्रिभोज के निमंत्रण का जवाब नहीं दिया।

आप प्रमुख उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों का एक मंच बनाना चाहते थे जहां भाजपा और कांग्रेस सत्ता में नहीं हैं ताकि भाजपा के खिलाफ एकजुट हो सकें। 18 मार्च को दिल्ली में रात्रिभोज आयोजित किया जाना था। इसका उद्देश्य 2024 के आम चुनावों से पहले वोटों की गिनती और रणनीति बनाने के लिए सभी प्रगतिशील मुख्यमंत्रियों को एकजुट करना था।

सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल का प्लान फेल हो गया है। मिली सूचनाओँ के मुताबिक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शारीरिक बीमारी का हवाला देते हुए केजरीवाल के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, पिछले महीने केजरीवाल चंद्रशेखर के आह्वान के जवाब में ‘तेलंगाना राष्ट्र समिति’ का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति करने के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। हाल के दिनों में, चंद्रशेखर गैर-बीजेपी, गैर-कांग्रेस गठबंधन बनाने के लिए सबसे पहले आगे बढ़े। लेकिन अन्य दलों की प्रतिक्रिया को देखते हुए माना जा रहा है कि वह उस प्रयास को छोड़कर तेलंगाना के बाहर अपनी पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

दूसरी ओर, सूत्रों ने यह भी कहा कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने आप प्रधान के आह्वान का जवाब तो दिया लेकिन अंत में आमंत्रण को सहेज नहीं सके।

हालांकि, तृणमूल नेता ममता ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेंगी। नीतीश ने यह भी कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री पद में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा, नीतीश कुमार देश के प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहते और मैं भी बिहार का मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता, हम जहां हैं खुश हैं।

केजरीवाल के आमंत्रण पर बाकी राज्यों के मुख्यमंत्री भी रात्रिभोज में शामिल नहीं हुए। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि भाजपा विरोधी तीसरे मोर्चे के चेहरे के रूप में केजरीवाल की स्वीकृति की कमी के कारण उनके निमंत्रण का किसी ने जवाब नहीं दिया।

इस बारे में अन्य दलों के खेमे से जो सूचनाएं बाहर निकलकर आयी हैं, उसका अर्थ यह है कि पूर्व में केजरीवाल के बयानों ने कई नेताओं को दुखी कर रखा था। इसलिए अब वे केजरीवाल को इस भाजपा विरोधी तीसरा मोर्चा का चेहरा बनने देना नहीं चाहते। पंजाब में उनकी सरकार बनने के बाद गुजरात में भी आप पार्टी के बेहतर प्रदर्शन ने भाजपा और कांग्रेस के साथ साथ अन्य दलों को भी चिंता में डाल रखा है।

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