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नईदिल्लीः भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबल पुरस्कार मिल सकता है। यह खबर जितनी तेजी से फैली, उससे अधिक तेजी से उसका खंडन भी हो गया। दरअसल नोबल पुरस्कार समिति के प्रमुख के हवाले से एक ट्विट का उल्लेख किये जाने की वजह से इस पर चर्चा होने लगी थी।
इस बात की तरफ ध्यान आकृष्ट किये जाने पर नोबल पुरस्कार समिति के प्रमुख ने सफाई दी और फर्जी ट्विट को स्पष्ट तौर पर रेखांकित किया। उन्होंने लिखा, मैंने मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नहीं कहा।
नोबेल पुरस्कार विजेता बनने की इन खबरों को इनके प्रसारित होने के तुरंत बाद ही खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में उनकी भूमिका के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा सकता है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का संभावित दावेदार भी नहीं बताया। दरअसल भारत दौरे पर आए नोबेल प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख और नॉर्वेजियन नोबेल पुरस्कार समिति के डिप्टी चीफ एशले तोजो ने गुरुवार को यह दावा किया। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभिन्न मीडिया में प्रकाशित खबरें झूठी हैं।
साथ ही, एस्ले ने से कहा, एक फर्जी समाचार ट्वीट भेजा गया था। इस मामले को फेक न्यूज ही माना जाना चाहिए। टोजो ने अपनी भारत यात्रा के दौरान कई मीडिया के सामने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने के लिए प्रधान मंत्री मोदी की प्रशंसा की।
हालांकि नोबेल शांति पुरस्कार का कोई संदर्भ नहीं था, नोबेल समिति के प्रमुख ने कहा, मैंने जो कहा उसका उस फर्जी ट्वीट के बयान से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद उनकी महत्वपूर्ण टिप्पणी हुई, कि हमने मोदी के प्रयासों पर ध्यान दिया है। मोदी जैसे मजबूत नेता के पास शांति कायम करने का जबरदस्त कौशल है।
प्रधान मंत्री मोदी एक शक्तिशाली राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे दुनिया की अदालत में उच्च सम्मान में रखा जाता है। भारतीयों के पास अपार शक्ति और विश्वसनीयता है। मुझे आशा है कि वे इस विश्वसनीयता और शक्ति का उपयोग भयानक युद्ध को समाप्त करने के लिए करेंगे।