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नौ राज्यों में प्रेस कांफ्रेंस कर जवाब देने की तैयारी

विपक्ष के पक्षपात वाले पत्र का भाजपा पर गहरा असर

  • भाजपा की वाशिंग मशीन का उल्लेख

  • पत्र वाले नेताओं के इलाके में प्रेस कांफ्रेंस

  • अलग अलग नेताओँ को भाजपा ने दी जिम्मेदारी

राष्ट्रीय खबर

नई दिल्ली: विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा है। अब स्पष्ट हो रहा है कि इस पत्र का जनता पर क्या कुछ असर पड़ा है, उसकी जानकारी भाजपा नेतृत्व को है। इसी वजह से आरोपों से बौखलाए भाजपा ने नौ राज्यों में श्रृंखलाबद्ध प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए पलटवार करने का फैसला किया है।

दिल्ली, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, बंगाल और केरल जैसे विपक्षी नेताओं ने रविवार को पीएम मोदी को पत्र लिखने वाले गृह राज्यों में प्रेस वार्ता आयोजित की है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा की रणनीति पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों को भ्रष्ट नेताओं के रूप में पेश करना है, जो जांच से डरते हैं। इनमें से पहली मुलाकात दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने राजधानी में की।

अन्य राज्यों के लिए, भाजपा ने शुभेंदु अधिकारी (बंगाल), संजय जायसवाल (बिहार), बृजेश पाठक (उत्तर प्रदेश) और संजय बंदी (तेलंगाना) जैसे नेताओं को मैदान में उतारा है। इनमें पश्चिम बंगाल के शुभेंदु अधिकारी खुद ही विपक्ष के निशाने पर हैं। अब दिल्ली में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी को पत्र लिखा। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी, भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल सहित अन्य के हस्ताक्षर वाले पत्र में कांग्रेस गायब थी। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक अलग पत्र लिखा।

इन पत्रों में कहा गया है, हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है। विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के खुलेआम दुरुपयोग से लगता है कि हम एक लोकतंत्र से एक निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं। 2014 के बाद से आपके प्रशासन के तहत जांच एजेंसियों द्वारा बुक किए गए, गिरफ्तार किए गए, छापे मारे गए या पूछताछ की गई प्रमुख राजनेताओं की कुल संख्या में से, अधिकतम विपक्ष के हैं।

दिलचस्प बात यह है कि जांच एजेंसियां ​​भाजपा में शामिल होने वाले विपक्षी राजनेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से चलती हैं। इसके कई उदाहरण भी पेश किये गये हैं। यह आरोप लगाते हुए कि श्री सिसोदिया को उनके खिलाफ बिना किसी सबूत के गिरफ्तार किया गया था।

पत्र में कहा गया है कि 2014 के बाद से, छापेमारी की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, विपक्षी नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले और गिरफ्तारी हुई है। चाहे वह लालू हों। प्रसाद यादव (राष्ट्रीय जनता दल), संजय राउत (शिवसेना), आजम खान (समाजवादी पार्टी), नवाब मलिक, अनिल देशमुख (एनसीपी), अभिषेक बनर्जी (टीएमसी), कें

द्रीय एजेंसियों ने अक्सर संदेह जताया है कि वे विस्तारित पंख के रूप में काम कर रहे थे केंद्र में सत्तारूढ़ व्यवस्था की। इसका संभवतः जनता पर असर होता देख ही भाजपा ने क्रमवार तरीके से प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर इन आरोपों के धार को कमजोर करने की तैयारी की है।

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