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राजीव अरुण एक्का मामले की जांच सीबीआई करे

  • अनेक प्रमुख नेता शामिल थे इस शिष्टमंडल में

  • एक दलाल के कार्यालय में बैठकर काम करना गलत

  • जांच सही हो, इसके लिए ही सीबीआई की जांच जरूरी

राष्ट्रीय  खबर

रांचीः भारतीय जनता पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के राज्यपाल से मिलकर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का मामले की जांच कराने की मांग की है। इस दल ने अपने साथ वह वीडियो क्लिप भी राज्यपाल को भेजा है, जो कल ही सोशल मीडिया में सार्वजनिक हुआ है।

यह शिकायत की गयी है कि वीडियो सामने आने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें दूसरे विभाग में भेज दिया है। इस दल ने कहा है कि यह वीडियो ही बताता है कि झारखंड  सरकार में दलाली एवं बिचौलियागिरी करने वाला एक प्रमुख व्यक्ति विशाल चौधरी के रांची शहर में अरगोड़ा के निकट स्थित प्राइवेट कार्यालय का है।

जहां बैठकर सरकारी कागजातों/फ़ाइलों पर दस्तख़त करते हुए श्री राजीव अरुण एक्का नज़र आ रहा रहे हैं।  जो कल 5मार्च 2023 के पूर्वाह्न तक झारखंड के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और राज्य के गृह, कारा जैसे सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विभाग के अतिरिक्त सूचना जनसंपर्क,आपदा प्रबंधन  विभाग के भी प्रधान सचिव थे।

वीडियो में जो महिला बग़ल में खड़ी होकर फ़ाईल साईन करवा रही है वो कोई सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि विशाल चौधरी की प्राइवेट कर्मचारी बतायी जा रही है। बग़ल से जिसकी आवाज़ सुनाई दे रही है वो विशाल चौधरी की आवाज़ बतायी गयी है, जो अपने महिला कर्मचारी से किसी से पैसे आने-नहीं आने के बारे में पूछ रहा है।

महिला कर्मचारी के ना कहने पर संभवतः विशाल किसी को फ़ोन लगाकर उसी पैसे का तगादा कर रहा है।  पत्र में राज्यपाल से कहा गया है कि कई लोगों ने बताया है कि राजीव अरूण एक्का के प्रभार वाले सारे विभागों की वैसी महत्वपूर्ण, मालदार एवं संवेदनशील फ़ाईलें सचिवालय से  सीधे विशाल चौधरी के प्राइवेट कार्यालय में पंहुचा दी जाती थी जिनमें मोटी रक़म वसूली करने का स्कोप होता था।

फिर विशाल फ़ोन कर लाभान्वितों से पैसे वसूलता था, तब एक्का साहब विशाल के निजी कार्यालय में जाकर पैसे वसूले जा चुके संचिकाओं पर हस्ताक्षर करते थे। इस विषयवस्तु की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि राज्य के मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव जो गृह, कारा जैसे संवेदनशील विभाग के भी प्रभार में हो का यह ग़लत कार्य राज्य और देश की सुरक्षा से भी जुड़ा  हुआ है ।

ऐसे में आशंका है कि एक्का ने अपने इस ग़ैर क़ानूनी काम से इस दलाल के मार्फ़त बड़े पैमाने पर पैसे की वसूली कर मनी लांड्रिंग की है। भाजपा ने अपने पत्र में लिखा है कि गृह विभाग सीधे मुख्यमंत्री के अधीन है। ये मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी थे।

ऐसे में मुख्यमंत्री के यहाँ निर्णय के लिये जाने वाली तमाम संचिकाएँ भी इस अधिकारी के माध्यम से कल तक मुख्यमंत्री के पास जाती थी। ऐसी संचिकाएँ दलाल के प्राइवेट कार्यालय बिना मुख्यमंत्री की जानकारी के पहुँच रहा हो , ये कैसे संभव है?

निश्चित रूप से विशाल चौधरी के मार्फ़त वसूली का हिस्सा मुख्यमंत्री जी तक भी पंहुच रहा होगा, जो गहन जाँच का विषय है। मुख्यमंत्री जी ने पद और गोपनीयता की जो शपथ ली है, उनके प्रधान सचिव का यह असंवैधानिक कृत्य उस गोपनीयता की शपथ का भी उल्लंघन है।

ऐसे में तो गृह विभाग की गोपनीय एवं बेहद संवेदनशील सूचनाएँ भी उग्रवादियों/आतंकवादियों एवं अपराधियों तक दलाल के मार्फ़त पहुंचने की संभावना से कैसे इंकार किया जा सकता है? महोदय, यह  प्रकरण राज्य की सत्ता के शीर्ष में  व्याप्त  सिर्फ भ्रष्टाचार तक ही सीमित नहीं बल्कि राज्य और देश की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर विषय है जिसकी सीबीआई जैसी निष्पक्ष संस्था से जांच होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री द्वारा श्री राजीव अरुण एक्का को दूसरे विभाग में स्थानांतरित एवम पदस्थापित करने मात्र से इसका पट्टाक्षेप नही हो सकता।  ये राज्य के महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं इसलिए ये अपने खिलाफ होने वाले जांच को प्रभावित कर सकते हैं। श्री राजीव अरुण  एक्का और मामले में संलिप्त विशाल चौधरी पर अविलंब एफ आई आर दर्ज कर राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच की अनुशंसा की जानी चाहिए।

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