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उड़ीसा के तीन जिलों में मिला सोना का बड़ा भंडार

राष्ट्रीय खबर

भुवनेश्वरः उड़ीसा में तीन स्थानों पर सोने का भंडार होने की पुष्टि हुई है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के अनुसार, ओडिशा के तीन जिलों में सोने के भंडार पाए गए हैं।

राज्य के इस्पात और खान मंत्री प्रफुल्ल मल्लिक ने कहा कि देवगढ़, क्योंझर और मयूरभंज में सोने के भंडार पाए गए हैं। राज्य के इस्पात और खान राज्य मंत्री प्रफुल्ल मल्लिक ने कहा, राष्ट्रीय खान और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने तीन जिलों, देवगढ़, क्योंझर और मयूरभंज में सोना पाया है।

क्योंझर में चार स्थलों, मयूरभंज में चार स्थलों और देवगढ़ में एक स्थान पर सोने के भंडार पाए गए हैं। डिमिरिमुंडा, कुशाकला, गोटीपुर, गोपुर, जोशीपुर, सूर्यगुडा, रुआंसिला, धुशुरा हिल्स और अदास जैसे क्षेत्रों में सोने के निशान पाए गए हैं।

इस स्थल पर पहला सर्वेक्षण कार्य 1970 और 1980 के दशक में किया गया था। लेकिन उस सर्वे के नतीजे प्रकाशित नहीं किए गए हैं. पिछले दो साल में फिर जीएसआई ने इस इलाके में एक नया सर्वे किया। वर्तमान में भारत में मुख्यतः सोने की तीन खदानें हैं। कर्नाटक में हट्टी, ऊटी खदानें और झारखंड में हीराबुद्दीनी खदानें।

भारत का सोने का उत्पादन लगभग 1.6 टन प्रति वर्ष है। यह देश की घरेलू मांग की तुलना में नगण्य है। भारत में सालाना 774 टन सोने की खपत होती है। समय के साथ सोने की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। और इसीलिए केंद्र देश में सोने का उत्पादन बढ़ाना चाहता है। इसका एक मकसद सोना आयात पर विदेशी पूंजी के खर्च को कम करना भी है। दूसरी तरफ इसी भरोसे भारत अपनी निर्यात भी बढ़ाना चाहता है।

पिछले साल नीति आयोग ने देश भर में संभावित सोने की खानों की पहचान के लिए बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण किया था। वर्तमान में, भारत का स्वर्ण भंडार कुल 70.1 टन है। इन सोने के भंडार का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत में स्थित है। खानों से सोना विभिन्न तरीकों से निकाला जाता है।

कभी-कभी सोने को मिट्टी, बजरी से पानी से धोकर और प्लैज़र यानी छलनी का उपयोग करके अलग किया जाता है। कभी-कभी हार्ड रॉक छलनी में सोडियम साइनाइड का उपयोग करके सोने को अलग किया जाता है। गहने ही नहीं। सोने का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर विभिन्न उत्पादों में किया जाता है।

वैसे उड़ीसा की सीमा से सटे झारखंड के इलाके में भी सोना का सर्वेक्षण हुआ है लेकिन उसकी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गयी है। चर्चा है कि सर्वेक्षण के नाम पर ही वहां से काफी मात्रा में सोनायुक्त अयस्क निकाला जाता रहा है।

सोने से पहले देश में लिथियम के बड़े भंडार पाए गए थे। यह भंजार जम्मू-कश्मीर के रियासी में मिली थी। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक, वहां पर 59 लाख टन लिथियम के भंडार हैं। इतनी बड़ी मात्रा में लीथियम मिलने के बाद भारत को अब इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। लिथियम एक सफेद धातु है जिसका उपयोग ज्यादातर बैटरी बनाने के लिए किया जाता है। ऐसे में इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है।

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