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श्रमिकों के आंदोलन के आगे झूक गयी फ्रांस की सरकार

मैक्रों की सरकार ने अपना ही फैसला वापस लिया

पेरिसः फ्रांस के राष्ट्रपति एमानूएल मैंक्रों के माहौल बिगड़ते देख अपना ही फैसला वापस लेना पड़ा है। सरकार ने वहां सेवानिवृत्ति का नया नियम लागू करते हुए पेंशन के प्रावधानों में बदलाव करने का एलान किया था। वहां के मजदूरों के लगातार आंदोलन के बाद स्थिति बिगड़ते देख सरकार ने अपना यह फैसला वापस ले लिया है।

फ्रांस के प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्ने ने कहा कि अब बीस से 21 साल की उम्र में नौकरी प्रारंभ करने वाले 63 साल की उम्र तक नौकरी कर सकेंगे। पिछले वर्ष फिर से राष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाले मैंक्रों इस मुद्दे पर हुए जनमत सर्वेक्षण में अपने ही इलाके में बुरी तरह पराजित हो गये थे।

सत्तारूढ़ दल के कई अन्य सांसदों को इस आंदोलन की आंच का एहसास होने लगा था। दो दिनों के आंदोलन में फ्रांस के लगभग सभी श्रमिक संगठनों के सदस्य शामिल हुए थे। देश के अलग अलग शहरों की सड़कों पर हजारों लोगों का प्रदर्शन सरकार की परेशानी बढ़ाने वाला था।

दूसरी तरफ वहां के वामपंथी श्रमिक संगठन सरकार के खिलाफ अधिक आक्रामक हो रहे थे। संसद में वामपंथी विपक्ष ने सरकार के इस कानून में संशोधन के लिए हजारों प्रस्ताव दाखिल किये हैं।

दरअसल सरकार की तरफ से यह दावा किया गया था कि सेवानिवृत्ति और पेंशन में सुधार के जरिए देश को वर्ष 2030 तक घाटे की स्थिति से उबारना है।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अधिक उम्र के कामगारों को हटाने की प्रवृत्ति पर भी रोक लगाने की दिशा में सरकार काम करेगी क्योंकि अधिक उम्र में नौकरी से हटाये गये लोगों के लिए फिर से काम खोजना कठिन हो जाता है।

वैसे मैंक्रों और उनकी सरकार अपने फैसले पर पहले तो अड़ी हुई थी लेकिन देश भर में मजदूरों के ऐसे प्रदर्शनों से होने वाले राजनीतिक नुकसान का अंदाजा होते ही सरकार ने अपने फैसले में बदलाव करने का एलान किया है।

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