म्यांमारयुद्ध

म्यांमार के लोग घरेलू हथियारों से सेना से लड़ रहे हैं

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का सैन्य शासन के काम काज पर असर नहीं

  • सेना ने अपने नागरिकों पर बम गिराये हैं

  • अनेक इलाकों की आबादी ही हटा चुकी है

  • जंगलों में प्रतिरोधी सैनिक मजबूत हो रहे हैं

हॉंगकॉंगः म्यांमार में पिछले दो साल से जारी सैन्य शासन भी अब खुद को टिकाये रखने के लिए संघर्षरत है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस सैन्य शासन पर कई प्रतिबंध लगाये जाने का वहां कोई असर नहीं हुआ है। दूसरी तरफ लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सैन्य शासन का विरोध करने वाले अब गुरिल्ला युद्ध तेज कर चुके हैं।

जब अचानक एक फरवरी 2021 को सैनिक विद्रोह के बाद सेना का सरकार पर कब्जा हुआ तो शहरी इलाकों में लोकतांत्रिक तरीके से उसका जबर्दस्त विरोध हुआ था। सैन्य शासन ने इस विरोध को कुचलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया। अनेक इलाकों में सेना के गोलीचालन से लोग मारे गये।

उसके बाद सारे नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद एक एक कर उन्हें लंबी कैद की सजा सुनायी जा रही है। इसके बीच ही लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन का कोई असर नहीं होते देख स्थानीय लोग सशस्त्र संघर्ष पर उतर आये हैं। इन विद्रोहियों को बाहर से कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही है।

इस वजह से इनलोगों ने घने जंगलों के बीच अपने हथियार कारखाने बना लिये हैं। इन कारखानों में तैयार होने वाले हथियारों से ही सेना पर हमला किया जा रहा है। सेना भी इन हमलों से इतनी परेशान है कि लोगों पर हेलीकॉप्टर से भी मिसाइल और गोलियां दागी गयी है।

भारत और बांग्लादेश की सीमा के भीतर भी म्यांमार की सेना के तोप के गोले गिरे हैं। इस निरंतर संघर्ष की वजह से देश की आर्थिक स्थिति लगभग ध्वस्त हो चुकी है। इसके बीच ही जंगलो के बीच ही हथियारबंद विद्रोही अपने लिए हथियार बना रहे हैं और म्यांमार की सेना पऱ इन्हीं हथियारों से हमला हो रहा है। इसका नतीजा यह है कि म्यांमार की सेना अब अपने ही देश की जनता पर गोले बरसा रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button