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बांग्लादेश की नाराजगी से सरकार सतर्क, आरबीआई सक्रिय

  • शेयर बाजार में शेयरों के भाव औंधे मुंह गिरे

  • जीवन बीमा निगम ने अपनी सफाई दी है

  • ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका का मसला उछला

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः बांग्लादेश द्वारा अधिक कीमत पर बिजली बेचने का आरोप अडाणी पावर पर लगा है। वहां की सरकार ने इस संबंध में हुए समझौते में सुधार की मांग कर दी है।

इस अंतर्राष्ट्रीय मांग की वजह से देश पर बढ़ रहे कूटनीतिक दबाव ने सरकार को चुपचाप इस पर कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया है।

यह अलग बात है कि संसद में सरकार अब तक अड़ी हुई है और विपक्ष की लगातार मांग के बाद भी इस मुद्दे पर सरकार की तरफ से चुप्पी है। पता चला है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों से यह पता लगाने को कहा है कि अडानी समूह को कितना पैसा कर्ज में दिया गया है।

दूसरी तरफ भारतीय जीवन बीमा निगम की तरफ से यह कहा गया है कि शेयर बाजार में अडानी समूह की गिरावट का एलआईसी के लाखों निवेशकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

एलआईसी के अधिकारियों ने विभिन्न समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में व्यक्त की गई आशंकाओं का खंडन किया है कि अडानी एंटरप्राइजेज में भारी निवेश के कारण एलआईसी शेयर बाजार में डूब सकता है। एलआईसी का दावा है कि 30 सितंबर 2022 तक उनकी कुल संपत्ति की कीमत 41 लाख 66 हजार करोड़ रुपए है।

और 31 दिसंबर, 2022 तक एलआईसी द्वारा अडानी समूह की सभी कंपनियों के कुल मिलाकर खरीदे गए शेयरों का मूल्य 35 हजार करोड़ रुपये से थोड़ा अधिक है। यानी संस्था की कुल संपत्ति का 1 फीसदी भी नहीं।

इसलिए तर्क के लिए अडानी समूह के दिवालिया होने की संभावना को स्वीकार करते हुए भी एलआईसी के लिए बड़े पैमाने पर नुकसान की कोई संभावना नहीं है।

एलआईसी अधिकारियों ने विभिन्न रिपोर्टों को असत्य करार दिया है कि अदानी के पास एलआईसी के कारोबार और निवेश के बारे में विस्तृत जानकारी है। याद दिला दें कि अडाणी समूह को लाभ दिलाने की पहली चर्चा ऑस्ट्रेलिया के कोयला खदान से हुई थी, जिसमें भारतीय स्टैट बैक ने उसे कर्ज दिया था।

इधर श्रीलंका की आर्थिक बदहाली के लिए भी वहां के कई विशेषज्ञ अडाणी समूह को ही जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। मिली जानकारी के मुताबिक रिजर्व बैंक यह जानना चाहता है कि अडानी समूह बैंक का कितना डिफाल्टर है।

यह पूछा गया है कि अडाणी समूह नियमित रूप से कर्ज की किस्तें जमा कर रहा है या नहीं। अंतरराष्ट्रीय संस्था सीएलएसए के आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन से चार साल में अडानी समूह की पांच कंपनियों का कर्ज काफी बढ़ गया है।

कर्ज की रकम एक लाख करोड़ से बढ़कर दो लाख करोड़ हो गई है। सीएलएसए द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में विभिन्न बैंकों से लिए गए कर्ज की रकम करीब 80 हजार करोड़ रुपए थी।

अदाणी ग्रुप को पिछले तीन सालों में भारत के विभिन्न बैंकों से 15 हजार करोड़ का कर्ज दिया गया है। यह सारी परेशानी तब प्रारंभ हुई जब अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप लगाए। हिंडनबर्ग का आरोप है कि भारत के सबसे बड़े औद्योगिक समूहों में से एक ने नियमित रूप से शेयर की कीमतों में हेरफेर किया है।

इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद से शेयर बाजार में अडानी ग्रुप के शेयर की कीमत में लगातार गिरावट आ रही है।  रिपोर्ट के बाद से शेयर बाजार में 10 लाख करोड़ का खोल अदानी ग्रुप, अदाणी इंटरप्राइजेज को अमेरिकी बाजार के डाउ जोंस इंडेक्स से भी डीलिस्ट कर दिया गया है।

फिंच ने उस विकट समय में अदानी समूह को कुछ ऑक्सीजन दी है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, गौतम अडानी के मालिकाना हक वाले ग्रुप की रेटिंग पर कोई असर नहीं पड़ा है।

शुक्रवार सुबह अडानी ग्रुप के शेयरों में गिरावट आई। बाजार खुलने के 90 मिनट के भीतर अदानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में 35 फीसदी की गिरावट आई। 52 हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंच गया है। अदानी टोटल गैस, अदानी विल्मर और अदानी पावर में भी गिरावट आयी।

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