देशराजनीतिसंपादकीय

अब पप्पू नहीं एक गंभीर नेता बने हैं राहुल गांधी

राहुल गांधी का मजाक उड़ाने में पप्पू नाम दिया गया था। घटनाक्रम यह साबित कर चुके हैं कि दरअसल इस नाम को प्रचारित करने के पीछे भाजपा की आईटी सेल का दिमाग था। इस नाम को जब प्रचारित किया जा रहा था तो कांग्रेस के पास इसकी कोई काट नहीं थी।

दूसरी तरफ राहुल ने तब भी अपनी सफाई में इस पर ज्यादा कुछ कहना मुनासिब नहीं समझा था। अब भारत जोड़ो यात्रा पूरी कर दिल्ली लौट आने वाले राहुल गांधी को देश में पप्पू के तौर पर प्रचारित करने का एजेंडा नाकामयाब हो गया है।

खुद राहुल ने इस बारे में कहा है कि उन्हें नकारा साबित करने के लिए भाजपा ने हजारों करोड़ रुपये खर्च किये थे। सिर्फ पैदल चलने से भाजपा का यह सारा पैसा अब डूब गया है।

अब कमसे कम यह तय हो गया है कि भाजपा अब यूं ही राहुल की राजनीतिक योग्यता पर सवाल खड़े नहीं कर सकती क्योंकि ऐसा जो भी कहेगा, उससे जनता इतनी दूरी तक पैदल चलने तथा शारीरिक परिश्रम के साथ साथ आम जनता से इसी तरह खुलकर मिलने की बात कहेगी।

तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू हुई इस यात्रा ने करीब 3570 किमी का सफर तय किया है। कुल 146 दिन के इस सफर में राहुल ने 14 राज्यों की सीमाओं को छुआ है।

इनमें तमिलनाडु के कन्याकुमारी से केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। भारी बर्फबारी के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में खत्म हो गई।

राहुल ने क्लोजिंग सेरेमनी के दौरान शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में 35 मिनट लंबी स्पीच दी। उन्होंने कहा, ‘मैं अब जम्मू-कश्मीर के लोगों से और सेना-सुरक्षाबलों से कुछ कहना चाहता हूं। मैं हिंसा को समझता हूं। मैंने हिंसा सही है, देखी है। जिसने हिंसा नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आएगी।

जैसे मोदीजी हैं, अमित शाहजी हैं, संघ के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है, डरते हैं। राहुल गांधी ने कई बार यह कहा कि उनकी यात्रा का मकसद सियासी नहीं है, लेकिन जानकार बताते हैं कि देश के दक्षिण से उत्तर तक यात्रा के जरिए कांग्रेस 372 लोकसभा सीटों पर फोकस कर रही है।

कांग्रेस के वरीय नेताओं में से एक पूर्व मंत्री ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा- भारत जोड़ो यात्रा के जरिए हम राहुल गांधी की नई इमेज तैयार करने में कामयाब रहे हैं।

करीब पांच महीने बाद राहुल जनता से जुड़े गंभीर नेता के तौर पर सामने आए हैं। अब वे विपक्ष को लीड कर सकते हैं और प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी भी हो सकते हैं। कर्नाटक के मैसूर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने बारिश के बीच जनसभा को संबोधित किया।

गांधी जयंती के मौके पर जब पूरे दिन की यात्रा के बाद राहुल लोगों को संबोधित करने के लिए मंच की तरफ बढ़े तो बारिश होने लगी। इस मौके पर राहुल ने बारिश रुकने का इंतजार नहीं किया। भीगते हुए उन्होंने भाषण जारी रखा।  इधर श्रीनगर के समापन समारोह में भी भारी बर्फवारी के बीच उन्होंने जनता को संबोधित किया।

इन दोनों स्थानों की दूसरी विशेषता यह रही कि राहुल गांधी को इस अवस्था में बोलते देख जनता भी उन्हें ऐसे ही माहौल में ध्यान से सुनती रही।

राहुल की यात्रा जिन राज्यों से गुजरी, वहां विपक्ष के नेता राहुल की यात्रा में शामिल हुए। शिवसेना के उद्धव गुट से संजय राउत, पीडीपी प्रमुख चीफ महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ उमर अब्दुल्ला जहां राहुल के साथ दिखे, तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी यात्रा के बाद राहुल से मुलाकात की बात कही है।

हालांकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यात्रा से दूरी बनाए रखी। आम आदमी पार्टी को तो कांग्रेस ने ही खुद से दूर रखा था। राहुल के इस सफर में सियासत से ज्यादा उनका लुक चर्चा में रहा है।

कन्याकुमारी में 7 सिंतबर को यात्रा की शुरुआत के समय राहुल के चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी, लेकिन करीब पांच महीने बाद उनकी शक्ल पूरी तरह बदल चुकी थी। चेहरे पर घनी दाढ़ी थी, तो सिर के बाल भी बढ़े हुए थे। इधर, राहुल की सफेद टी-शर्ट भी चर्चा में रही, जिसे पहनकर वे कड़ाके की सर्दी में भी चलते नजर आए।

भाजपा की तरफ से उनकी टी शर्ट और जूतों पर सवाल उठाये गये थे लेकिन घटनाक्रमों ने इन आरोपों को धराशायी कर दिया। भारत में इतनी लंबी पैदल यात्रा करने का रिकार्ड किसी दूसरे नेता के पास नहीं है। लिहाजा अब इस लिहाज से भी राहुल गांधी को अब गंभीर, समझदार और जनता से मिलने वाले नेता के तौर पर स्वीकारा गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button