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दुनिया में धान की उपज बढ़ाने का नया शोध सफल होने का दावा

इस हाईब्रिड धान में 95 फीसद सफलता

  • अधिक उपज और बीमारी से बचाव भी

  • किसानों को फायदा पहुंचाने की सोच

  • जेनेटिक सुधार कर तीन फसल लेंगे

राष्ट्रीय खबर

रांचीः एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने हाईब्रिड धान बनाने का परीक्षण सफलता पूर्वक पूरा कर लिया है। इसके बारे में बताया गया है कि इसकी फसल दूसरी प्रजातियों से बहुत अधिक है और उसके दानो 95 प्रतिशत तक होते हैं। लिहाजा इस धान के धान की पैदावर बहुत अधिक बढ़ायी जा सकती है। इससे चावल की कमी भी दुनिया में दूर होगी।

दुनिया के अनेक देशों में चावल ही मुख्य भोजन होने की वजह से इस उपलब्धि को पूरी दुनिया के अनाज संकट के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वैज्ञानिक पत्रिका नेचर कम्युनिकेशंस में इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। दावा किया गया है कि यह नई और हाईब्रिड प्रजाति बीमारियों से भी लड़ सकती है और कम आय वाले किसानों के लिए काफी अधिक आमदनी देने वाली है।

दरअसल धान का उत्पादन ही पहले के मुकाबले काफी अधिक होने की वजह से ही किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी। इसके अलावा इसमें बीमारियों से बचने की अपनी प्रकृति है। इससे किसानों को धान में कीड़ा लगने अथवा किसी बीमारी से नुकसान होने के नुकसान से भी बचाव होगा।

दुनिया की लगभग आधी आबादी का मुख्य भोजन चावल ही है। धान से ही चावल बनता है। परीक्षण में यह पाया गया है कि इस नई हाईब्रिज प्रजाति के धान ने पहली बार में बंपर फसल की है लेकिन दूसरी बार में उपज कम हो गयी थी। इसलिए ऐसे धान की खेती के लिए बार बार हाईब्रिज धान की बीज हासिल करना भारत जैसे देश के किसानों के लिए एक कठिन चुनौती है।

इस बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टिट्यूट में कार्यरत भारतवंशी वैज्ञानिक गुरुदेव खुश कहते हैं कि अभी दुनिया के धान उगाने वाले किसानों तक इसका फायदा पहुंचाने में थोड़ा वक्त लगेगा। वह इस विश्वविद्यालय के प्लांट साइंस विभाग के प्रोफसर है। खुश को इससे पहले भी विभिन्न किस्म के धान की उपज को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1996 में भी वर्ल्ड फूड प्राइज मिल चुका है। इस नई प्रजाति की पहली फसल के जैसा ही बार बार धान मिले, उसके लिए इसके क्लोन पर विचार चल रहा है।

ऐसा होने पर हर बार धान की उपज एक जैसी ही रहेगा और गरीब देश के किसानों को इससे वास्तविक लाभ होने के साथ साथ धान यानी चावल की वैश्विक कमी भी कुछ ही वर्षों में दूर हो जाएगा। वरना आम तौर पर हाईब्रिड बीज की परेशानी यह है कि उसे बार बार खरीदना पड़ता है जो भारत जैसे देश के छोटे किसानों के लिए संभव नहीं है।

इसलिए अब हाईब्रिज धान बीज का क्लोन बनाने पर शोध चल रहा है। इस काम में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिक सुंदरेशन के अलावा फ्रांस, जर्मनी और घाना के वैज्ञानिक भी एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उनकी सोच है कि किसानों को ऐसी बीज मिले जो कमसे कम तीन फसल तक उन्हें बेहतर आमदनी दे सके।

इससे किसानों की आय बढ़ने का रास्ता प्रशस्त होगा और लोगों को भी कम कीमत पर चावल मिल पायेगा। इस काम को पूरा करने के लिए भी जेनेटिक विज्ञान का सहारा लिया जा रहा है। इसके तहत धान के  बीज को कोष में जेनेटिक बदलाव करने का प्रयास हो रहा है ताकि हाईब्रिड और अधिक फसल देने वाली बीज से उत्पन्न धान के पौधों से भी बीज हासिल कर अगले दो बार उतनी ही फसल प्राप्त हो। कम जमीन पर अधिक फसल का दूसरा फायदा उर्बरकों का कम उपयोग भी होगा। इससे कमसे कम गरीब किसानों को धान उत्पादन की लागत को कम किया जा सकेगा।

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