Breaking News in Hindi

सृजन घोटाले में सीबीआई की जांच पर उठ रहे हैं सवाल

  • राजनेताओँ पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं

  • बड़े अधिकारियों पर जांच की गाड़ी नहीं बढ़ी

  • अभियुक्त संपत्ति बेचकर आराम से निकले

दीपक नौरंगी

भागलपुरः देश के बहुचर्चित और बिहार के सबसे बड़े सृजन घोटाले में अभी भी घोटाले के मुख्य अभियुक्त अमित कुमार और रजनी प्रिया अब तक कानून के शिकंजे से बाहर है। साथ ही साथ सृजन के मास्टरमाइंड मनोरमा देवी के करीबी रहे तथाकथित राजनेताओं और भ्रष्ट आईएएस और आईपीएस अफसरों पर नकेल कसने में सीबीआई की सांसे अटक रही हैं।

इस बीच सीबीआई की तरफ से सृजन घोटाले की किंगपिन स्वर्गीय मनोरमा देवी के निधन के बाद उनके आरोपी बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की संपत्ति पर कोर्ट से जारी की गई इश्तेहार को दस जनवरी मंगलबार को चिपका दिया गया है।

गौरतलब हो कि अमित कुमार और रजनी प्रिया दोनों को कोर्ट में पेश होना था लेकिन कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर सीबीआई ने उनके पुराने आवास तिलकामांझी स्थित न्यू विक्रमशिला कॉलोनी में उनके तीन मकानों पर नोटिस चिपकाया किया। सीबीआई की टीम के अधिकारियों ने बताया कि अभी 82 की प्रोसिडिंग के तहत कार्य किया जा रहा है।

सृजन घोटाले के मुख्य सरगना मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और उनकी बहू रजनी प्रिया है। उनके संपत्ति पर कोर्ट का नोटिस चिपकाया दिया गया है और पब्लिक से अपील भी की जा रही है कि इनके बारे में जो कोई भी जानकारी मिलता है उन्हें लोकल पुलिस या सीबीआई को तुरंत जानकारी दें वहीं उन्होंने यह भी बताया कि फिर भी वह लोग कोर्ट में पेश नहीं होते हैं तो 83 की प्रोसिडिंग के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।

इसके बाद भी यह स्पष्ट है कि दरअसल यह जांच धीमी गति से और असली मुजरिमों को बचाने के लिए चल रही है। यूं तो कानून की नजर में गुनहगार का रसूख मायने नहीं रखता है लेकिन सृजन घोटाले में जांच कर रही सीबीआई की आंखों पर रसूख का पट्टा चढ़ा हुआ मालूम नजर आता है।

इसी वजह से तत्कालीन डीआईजी और आईएएस केपी रमैया और वीरेंद्र यादव पर सीबीआई के हाथ इनके गिरेबान तक क्यों नहीं पहुंच पाए जबकि सरकारी संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा जिला पदाधिकारी की होती है।

ऐसे में सीजन घोटाले में अभी तक किसी भी आईएएस अधिकारियों पर करवाई ना होना और उनकी गिरफ्तारी नहीं होना कहीं ना कहीं सीबीआई की कार्यशैली पूरी तरह सवालों के घेरे में दिखती है। सृजन घोटाले में खुलकर सरकारी धन राशि का बंदरबांट होता रहा।

कई बड़े अधिकारियों ने बीच पॉइंट पर भी करोड़ों रुपए की लागत से बंगले खरीदें। आखिर सीबीआई की जांच दायरे में ऐसे भ्रष्ट बड़े सफेदपोश राजनेता और नौकरशाह क्यों नहीं आ रहे हैं. यह एक ऐसा सवाल है। इस बहुचर्चित घोटाले में अभी तक कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है जिसमें सलाखों के पीछे कई बैंक अफसर से लेकर किरानी तक बंद है। फिर भी जनता की नजर में इस घोटाले में शामिल जो बड़ी मछलियां हैं, उन पर हाथ डालने से सीबीआई बच रही है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.