हवाईः यहां एक ज्वालामुखी के शांत पड़ने के बाद वहां का दूसरा ज्वालामुखी किलाउया फिर से सक्रिय हो गया है। कई दशकों तक शांत रहे माउना लोवा ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद से ही वैज्ञानिक इसकी आशंका जता रहे थे। उस वक्त भी माउना लोवा के साथ साथ इस ज्वालामुखी से भी राख और धुआं के बाद थोड़ा सा लावा निकला था।
बाद में दोनों ज्वालामुखी एक दिन के अंतराल में शांत हो गये थे। लेकिन पर्यावरण वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया था कि जमीन के नीचे गहराई में उथलपुथल का दौर जारी है। अब फिर से किलाउया ज्वालामुखी से लावा विस्फोट प्रारंभ हो चुका है।
गुरुवार की सुबह ही वैज्ञानिकों ने जमीन के अंदर की हलचल तेज होने की सूचना दी थी। उसके बाद यह ज्वालामुखी फट गया। यहां के ज्वालामुखी नियंत्रण कक्ष के अलावा यूएसजीएस ने भी इस बारे में लोगों को सतर्क किया है। वहां ज्वालामुखी के करीब स्थापित किये गये वेबकैम में भी अंदर का लाल रंग का लावा बाहर निकलता हुआ नजर आ रहा है।
जमीन के लिए भूकंप आने की गति भी अब तेज हो गयी है। कई स्थानों पर अब जमीन का स्वरुप भी बदल रहा है और कुछ स्थानों पर मामली किस्म का भूधंसान भी देखा जा रहा है। यानी इन इलाकों की जमीन अचानक से नीचे धंस गयी है। सितंबर महीने से यहां जारी ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद पिछले महीने ही विस्फोट बंद हुए थे।
तब भी यह साफ कर दिया गया था कि यह अंत नहीं है। अब फिर से वैज्ञानिकों की यह चेतावनी सही साबित हो रही है। इस बार ज्वालामुखी के एक छोर से लावा को निकलते हुए देखा जा रहा है। इस वजह से अब ज्वालामुखी संबंधी चेतावनी संकेत को भी लाल कर दिया गया है। यानी यह खतरे की सबसे अधिक सीमा है। वैसे फिलहाल आस पास के इलाकों में रहने वालों के लिए इस ज्वालामुखी विस्फोट ने कोई खतरा नहीं दर्शाया है।
फिर भी लोगों को एहतियात के तौर पर अल्प सूचना पर घऱ छोड़ने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। वर्ष 2018 में ऐसे ही एक ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से सैकड़ों घर लावा में नष्ट हो गये थे। वैसे कुछ वैज्ञानिक यह भी मान रहे हैं कि जिस गति से वहां से गैस बाहर निकल रही है, उससे यह उम्मीद भी बनती है कि लावा का विस्फोट धीरे धीरे कम हो जाए। ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि गैस के लगातार तेजी से बाहर निकलने की वजह से अंदर का दबाव कम होता जा रहा है।