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नये साल के जश्न के मौके पर बर्लिन में व्यापक हिंसा

बर्लिनः दो साल की बंदी के बाद नये साल का जश्न भी यहां हिंसक हो गया। इस दौरान आपात सेवा में लगे कर्मचारियों पर 39 स्थानों पर हमले हुए। देश के दूसरे हिस्सों में भी इस किस्म की हिंसा की सूचनाओं ने सरकार को फिर से सतर्क कर दिया है। दरअसल हाल ही में नाजीवाद समर्थक एक गुट के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की थी।

दूसरी तरफ रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि यूक्रेन में भी भेष बदलकर नाजीवाद का समर्थन करने वाले मौजूद हैं। इन सूचनाओं के बाद भी बर्लिन एवं जर्मनी के अन्य हिस्सों में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों पर हमले की अब गहन जांच प्रारंभ कर दी गयी है। दरअसल सरकार ने दो साल की सख्ती के बाद पहली बार नये साल के उत्सव के मौके पर लोगों को आतिशबाजी की छूट दी थी।

बर्लिन में एक के बाद एक हमले क्यों हुए हैं, इसकी जांच की जा रही है। सूचना के मुताबिक ऐसे हमलों में 15 आपातकर्मी घायल हुए हैं। इसके अलावा 18 पुलिस अधिकारियों को भी भीड़ के हमले मे चोट आयी है। बर्लिन के दमकल विभाग को इस नये साल के जश्न के दौरान 17 सौ कॉल आये थे। इनमें से अधिकांश हिंसा से संबंधित थे।

वहां जाने वाले बचाव दल पर भी आतिशबाजी के बम फेंके गये। इसके अलावा हिंसक भीड़ ने कई व्यापारिक प्रतिष्ठानो को भी नुकसान पहुंचाया। अनेक स्थानों पर पुलिस, दमकल कर्मी और आम लोगों पर भी बीयर के बोलत फेंके गये। कुछ स्थानों पर तो सरकारी वाहनों से सामान भी लूट लिये गये हैं।

इस वजह से अब सरकार इन घटनाओँ पर गंभीर है क्योंकि आम तौर पर ऐसी घटनाएं सामान्य नहीं मानी जा सकती है। नये साल के जश्न में थोड़ा बहुत हंगाम होने का अनुभव पुलिस और दमकल वालों का था। इस बार की तरह हर तरफ एक जैसा हमला होने बिल्कुल नई बात थी। बर्लिन के अलावा डसेलडोर्फ, लेइपजिग, हैमबर्ग जैसे शहरो में भी उपद्रवी भीड़ ने एक जैसा आचरण किया है।

लेइपजिग में एक 17 साल के एक युवक की मौत भी हो गयी। बताया गया है कि वह अनधिकृत तौर पर जुटाये गये आतिशबाजी के विस्फोट का शिकार हो गया। अधिकांश स्थानों पर सरकारी कर्मचारियों पर आतिशबाजी को निशाना बनाकर चलाया गया। अब मामले की जांच मे जुटी पुलिस इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर उनपर भारी जुर्माना लगाने की तैयारी कर रही है।

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