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केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग पर नाराजगी

महाराष्ट्र के मंत्री अनिल देशमुख अब जेल से बाहर आ गये हैं। अनिल देशमुख को सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार के मुख्य केस में 12 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट से ज़मानत हासिल हुई थी, लेकिन आदेश को 10 दिन तक रोककर रखा गया, क्योंकि एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए समय की मांग की थी।

कोर्ट अब सीबीआई की अपील पर सर्दियों की छु्ट्टियों के बाद जनवरी में सुनवाई करेगी। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा अनिल देशमुख को दी गई ज़मानत में मामले में दखल देने से इंकार कर दिया था। ईडी ने अनिल देशमुख को नवंबर, 2021 में गिरफ़्तार किया था।

आर्थर रोड जेल में बंद महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख को आज जमानत पर रिहा कर दिया गया। देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में अरेस्ट किया गया था। उन पर मुंबई पुलिस कमिश्नर से सौ करोड़ रुपए की वसूली का भी आरोप लगाया था। देशमुख एक साल एक महीने 27 दिन बाद जेल से बाहर आए हैं।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर को एक लाख रुपए के मुचलके पर सशर्त जमानत दी थी। सीबीआई के अनुरोध पर जमानत आदेश 27 दिसंबर तक रोका था। लेकिन, मंगलवार को कोर्ट ने रोक का समय बढ़ाने की मांग खारिज कर दी थी। जेल से निकलते वक्त जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, अजित पवार, छगन भुजबल समेत कई नेता अनिल देशमुख को रिसीव करने पहुंचे।

अनिल देशमुख जेल से बाहर आने के बाद कहा- मुझे झूठे केस में फंसाया गया था। सचिन वझे के आरोप में सच्चाई नहीं है। पुलिस और सीबीआई मेरे खिलाफ सबूत पेश नहीं कर पाई। मुझे झूठे केस में 14 महीने जेल में रखा गया।

महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन के नेताओं के नाम गिनाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि एनसीपी के अनिल देशमुख, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत और अन्य नेताओं की गिरफ़्तारी इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं कि प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह से मिलूंगा, ताकि भविष्य में किसी को भी इस तरह के हालात से नहीं गुज़रना पड़े। इसी साल, ईडी द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्डरिंग के एक केस के सिलसिले में शिवसेना के सांसद संजय राउत को भी तीन माह से ज़्यादा वक्त जेल में बिताना पड़ा था, और उन्हें भी नवंबर में ज़मानत मिलने के बाद रिहा किया गया था।

अदालत ने संजय राउत को ‘गैरकानूनी’ तरीके से गिरफ़्तार करने के लिए ईडी को फटकारा भी था। अनिल देशमुख पर जबरन वसूली का आरोप था, जबकि संजय राउत का नाम हाउसिंग स्कीम से जुड़े कथित घोटाले से जुड़ा है। दोनों नेता कह चुके हैं कि यह केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी द्वारा की गई राजनैतिक बदले की कार्रवाई है।

महाराष्ट्र से लेकर झारखंड, और दिल्ली तक, बहुत-से राज्यों में विपक्ष के नेता केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग’ का आरोप भाजपा पर लगाती रही हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आईआरसीटीसी मामले में लालू के खिलाफ नया केस खोलने पर कहा कि आगे-आगे देखिए ये लोग क्या-क्या करते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम साथ आ गए हैं, इसलिए ये सब किया जा रहा है। इसके पहले पूरे देश ने दिल्ली का आबकारी मामला भी देखा है, जो रबर की तरह खींचता ही जा रहा है। इस मामले में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को मुख्य आरोपी बताते हुए सबसे पहले उनके यहां छापामारी हुई थी।

मामले की परिणति चाहे जो हो लेकिन उसी आबकारी नीति को पंजाब में लागू किये जाने की वजह से राज्य के राजस्व में बढ़ोत्तरी हुई है, यह रिकार्ड में दर्ज बात है। झारखंड की बात करें तो यहां भी ईडी हेमंत सोरेन के खिलाफ सक्रिय हुई थी। जब से जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने कई गड़े मुद्दे उखाड़े और ईडी की चार्जशीट में उल्लेखित तथ्यों का खुलासा कर दिया, उसके बाद से ही ईडी की जांच की गाड़ी अचानक से पटरी से उतर गयी।

ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरयू राय ने सीधे सीधे इन तमाम अनियमितताओं के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को घेरे में ले लिया था। लिहाजा यह मान लेने में हर्ज नहीं है कि अब केंद्र सरकार विरोध का स्वर दबाने के लिए वाकई केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करती है। कई बार कुछ सरफिरे अधिकारियों से टक्कर होने की स्थिति में सरकार परेशानी में पड़ जाती है।

यह हमलोगों ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना के बीच के टकराव में देखा है। उसके साथ साथ पेगासूस की जासूसी का मामला अभी अदालत में विचाराधीन है। तय है कि आने वाले दिनों में अगर सत्ता परिवर्तन हुआ तो अभी की घटनाओं के अनेक गड़े मुर्दे भी उखाड़े जाएंगे क्योंकि उनकी नींव रख दी गयी है।

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