पेरिसः यहां की प्रदर्शनी में कुरान का वह पन्ना भी है जिसे दुनिया का सबसे पुराने कुरान का हिस्सा माना गया है। वैसे यह पन्ना काफी समय से लोगों की आंखों से ओझल था। अब उजबेकिस्तान के प्राचीन कलाकृतियों की प्रदर्शनी में इसे भी प्रदर्शित किया जा रहा है। बताया गया है कि अति प्राचीन इन तमाम धरोहरों को संरक्षित करने के बाद ही उन्हें लोगों के सामने लाया गया है।
उनकी दशा सुधारने में काफी समय लगा है। अब प्रदर्शनी में नजर आने वाली चीजों से उस काल की संस्कृति और रहन सहन का पता भी चल जाता है। उजबेकिस्तान के बुखारा गुलिस्तान में वर्ष 2009 से शोध कररहे प्रमुख शोधकर्ता रोक्को रांटे ने यह प्रदर्शनी लगायी है।
उन्होंने जिस इलाके पर शोध किया है वह प्राचीन काल में सिल्क रोड का हिस्सा हुआ करता था। इसी क्रम में इस प्रदर्शनी का सबसे प्रमुख आकर्षण कुरान का वह पन्ना है, जिसके बारे मे बताया गया है कि इसे दुनिया का अन्यतम प्राचीन कुराना का हिस्सा माना जा सकता है। इसे वहां के एक दूरस्थ गांव में खोजा गया है।
जिसे गांव वालों ने काफी संभालकर रखा था। शोध कर्ताओं के दल ने इसकी जांच करने के बाद इसे आठवी सदी का कुरान बताया है। दूसरी तरफ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि यह इस्लाम के प्रारंभ के शुरुआती दिनों की रचना है। इसके आधार पर भी शोधदल ने माना है कि खाड़ी क्षेत्र के इलाकों से इस स्थान तक व्यापारिक आवागमन होता था।
इसी वजह से कुरान का यह पन्ना भी यहां पहुंचा था। इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित वस्तुओं के आधार पर यह भी माना जा रहा है कि यह शायद उस प्राचीन काल में पूर्व को पश्चिम से जोड़ने वाला व्यापारिक रास्ता भी था। जो समय के साथ खत्म हो चुका है। अब ऐसे धरोहरों के सहारे उस काल की गतिविधियों को नये सिरे से जांच की जा रही है।
शोध दल को उम्मीद है कि आगे के शोध में वे अलेकजेंडर द ग्रट, चेंगिस खान तथा अमीर तिमुर के काल के बारे में भी अधिक जानकारी हासिल कर सकेंगे। इससे पता चल जाएगा कि इस इलाके में भारत, चीन और ईरान की संस्कृति की झलक मौजूद थी यानी इन तीनों देशों से भी यहां का कारोबारी रिश्ता था। वैसे इस इलाके में कुछ दिन पहले ही हिंदू मंदिर भी खोजा गया है, जिससे पता चला है कि प्राचीन काल में यहां हिंदू धर्म के अनुयायी भी रहा करते थे।