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नईदिल्लीः दूरसंचार विभाग के दस वरीय अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गयी है। सभी पर अपने काम में गैर जिम्मेदारी दिखाने का आरोप है। इनलोगों के सरकार के प्रति समर्पण और काम में पारदर्शिता का अभाव भी हटाये जाने का कारण माना जा रहा है। पहले इनलोगों को चेतावनी दी गयी थी।
कुछ भी सुधार नहीं होने के बाद अब विभागीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन्हें जबरन सेवानिवृत्ति देने के आदेश को मंजूरी दे दी है। इन दस बड़े अधिकारियों में संयुक्त सचिव रैंक का एक अफसर भी है। श्री वैष्णव ने रेल मंत्री रहते हुए वहां भी यह तरीका अपनाया था। इसके जरिए उन्होंने यह संदेश देने का काम किया है कि सरकारी नौकरी का अर्थ सिर्फ बैठकर वेतन लेना अब नहीं हो सकता है।
सरकार ने पहले ही सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवाशर्तों में इस किस्म के फेरबदल किये थे। उस वक्त भी सभी को यह परोक्ष चेतावनी दी गयी थी कि उन्हें अपने वेतन के हिसाब से पूरा काम करना होगा। मंत्री की मंजूरी के बाद टेलीकॉम विभाग ने इन अफसरों को रिटायरमेंट लेने का पत्र जारी कर दिया है।
इन लोगों में नौ लोग निदेशक स्तर के अधिकारी थे। इसलिए समझा जाता है कि इसके पीछे का कारण कुछ और भी हो सकता है। सिर्फ विभागीय स्तर पर पारदर्शिता और भ्रष्टाचार का बहाना बनाया गया है। वैसे बता दें कि रेल मंत्री रहते हुए अश्विनी वैष्णव ने वहां भी चालीस अफसरों को जबरन रिटायर करा दिया था।
इसके पीछे की असली कहानी क्या है, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। दूसरी तरफ रेल से हटाये गये अफसरों के बारे में बाद में यह जानकारी आयी है कि इनलोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप प्रमाणित नहीं होने के बाद भी वे सही तरीके से काम नहीं करते थे। फिर भी एक प्रमुख कारण रेलवे के निजीकरण के प्रस्ताव का विरोध भी इनलोगों के द्वारा किया गया था। अब टेलीकॉम के इन दस अफसरों के जबरन रिटायरमेंट के पीछे की कोई दूसरी कहानी भी है अथवा नहीं, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।