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भाजपा के साथ कांग्रेस और माकपा भी हारी
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बारह की बारह सीटों पर टीएमसी के लोग जीते
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दोनों दलों के बीच लगातार संघर्ष की भी सूचना है
राष्ट्रीय खबर
कोलकाताः प्रदेश भाजपा के सबसे कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी के अपने ही इलाके में भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पायी है। वहां की सहकारी समिति के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा ने माकपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया था। नतीजा यह निकला है कि तीनों दलों के सारे प्रत्याशी हार गये हैं। वहां की बारह में से बारह सीटों को टीएमसी प्रत्याशियों ने जीत लिया है।
भेटुरिया के इस चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी चरम पर थी। चुनाव के पहले भी कई स्थानों पर राजनीतिक दलों के समर्थकों के बीच झड़प होने की वजह से हिंसक माहौल बन गया था। अब मतों की गिनती समाप्त होने के बाद जब परिणाम निकला तो यह तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में एकतरफा राय है। इस इलाके को ही शुभेंदु अधिकारी का खास इलाका माना जाता है। उसके अलावा नंदीग्राम के विधानसभा चुनाव में ही अधिकारी ने ममता बनर्जी को पराजित कर सनसनी फैला दी थी। अब पंचायत चुनाव के ठीक पहले यह चुनाव परिणाम दूसरी कहानी बयां करने लगा है।
मतगणना के दौरान भी यहां भाजपा और टीएमसी के समर्थकों के बीच भिड़त होती रही है। दोनों दलों का आरोप था कि बाहर से लोगों को लाकर यहां मार पीट और लोगों को आतंकित करने का काम किया जा रहा है। अब परिणाम जारी होने के बाद सारे सीट टीएमसी के खाते में जाने के बाद भाजपा की मदद करने वाली कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी भी हताश है। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद यह आरोप भी लगा है कि टीएमसी समर्थकों ने वहां के एक भाजपा के अस्थायी कार्यालय में तोड़ फोड़ की है।
इस परिणाम के बाद भाजपा की तरफ से आरोप लगाया गया है कि पुलिस और प्रशासन की मदद से टीएमसी ने बेइमानी की है। स्थानीय पुलिस ने टीएमसी के पक्ष में काम किया। विधानसभा चुनाव में जब केंद्रीय सुरक्षा बल यहां तैनात थे तो भाजपा के समर्थकों को वोट डालने का मौका मिला था। दूसरी तरफ टीएमसी का कहना है कि शुभेंदु अधिकारी ने केंद्रीय एजेंसियों की मदद से गलत ढंग से विधानसभा का चुनाव जीता था, यह उसके बाद के चुनाव में साफ हो गया है। भाजपा जिसे इतना कद्दावर नेता समझती है, उसकी रही सही ताकत भी पंचायत चुनाव में नजर आ जाएगी।
शुभेंदु अधिकारी ने दूसरे इलाकों से लोग लाकर चुनाव को अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी लेकिन इस बार उनकी नहीं चली क्योंकि उनकी मदद के लिए केंद्रीय सुरक्षा बल मौजूद नहीं था। इसी नंदीग्राम में ममता बनर्जी को पराजित करने की वजह से शुभेंदु अधिकारी का राजनीतिक कद बहुत बढ़ गया था। अब इस चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में क्या फेरबदल होगा, इस पर चर्चा होने लगी है।