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धरती पर भाप के तौर पर भी मौजूद है साफ पानी का असीमित भंडार

  • दुनिया के कई इलाकों में यह समस्या बड़ी

  • समुद्री इलाकों में भाप का बनना निरंतर जारी

  • इसी भाप को पानी में बदलने पर काम किया गया

राष्ट्रीय खबर

रांचीः धरती पर जलसंकट की चर्चा लगातार हो रही है। यह चर्चा प्रासंगिक भी है क्योंकि निरंतर दोहन की वजह से अब भूमिगत जल भंडार तेजी से घट रहे हैं। दूसरी तरफ शहरीकरण की वजह से इस भूमिगत जलभंडार को दोबारा भरा नहीं जा रहा है। दूसरी तरफ जंगल की कटाई तथा अन्य कारणों से भी नदियों का पानी सूख रहा है।

इस वजह से अनेक इलाकों में अब जलसंकट बहुत बड़ी समस्या हो चुकी है। अभी हाल ही में कई प्रमुख नदियों और डैमों का पानी सूख जाने की वजह से वहां के प्राचीन वैसे धरोहरों का पता चला जो इस पानी में डूब गये थे। पानी का यह संकट खाद्यान्न संकट पैदा कर रहा है। इस संकट से उबरने के लिए अब वैज्ञानिकों ने पानी के उस असीमित जल भंडार का प्रयोग करने की योजना पर काम प्रारंभ किया है जो इन सारी परेशानियों को भी दूर सकता है। साफ पानी का यह जलभंडार दुनिया के समुद्रों के ऊपर पानी के भाप के तौर पर मौजूद है।

यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में प्रारंभिक शोध कर लेने के बाद इस दिशा में पूंजीनिवेश की राय व्यक्त की है। उनके मुताबिक धरती के हर इलाके में यह समुद्री भाप मौजूद है, जो दरअसल साफ पानी ही है। पानी से भाप बनने की वजह से समुद्री जल का खारापन इस भाप में मौजूद नहीं होता।

इसलिए हर इलाके में, जहां जलसंकट है, वहां इसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए प्रारंभिक स्तर पर आधारभूत संरचना बनाने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय के शोध दल का नेतृत्व प्राइरी रिसर्च इंस्टिट्यूट के कार्यकारी निदेशक प्रोफसर प्रवीण कुमार ने की है। इस दल ने दुनिया के 14 ऐसे इलाकों की पहचान की है, जहां अभी जलसंकट की समस्या सर्वाधिक है। इन इलाकों के पास स्थित समुद्र के ऊपर मौजूद भाप से पानी हासिल करने की रिपोर्ट जारी की गयी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौसम के बदलाव की चुनौतियों के बीच भी इस काम को किया जा सकता है।

इस काम में प्रोफसर कुमार के साथ अफीफा रहमान और प्रोफसर फ्रांसिना डोमिनिगुएज भी शामिल थे। उनका यह शोध प्रबंध नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित हुआ है। इनका मानना है कि सूर्य किरणों की वजह से समुद्र में पानी का भाप बनना एक निरंतर प्रक्रिया है। इस भाप को अगर फिर से पानी बनाया गया तो कम पानी वाले इलाकों में उसका उपयोग किया जा सकता है।

उनके मुताबिक आसमान पर बादल होने की वजह से पानी के ऊपर मौजूद इस भाप को साफ साफ देखा नहीं जा सकता लेकिन नमी की वजह से उसे महसूस किया जा सकता है। समुद्र के खारा पानी को साफ बनाने की विधि विकसित हुई है लेकिन उससे जल संकट की यह समस्या पूरी तरह दूर नहीं की जा सकती है। इस दल ने जो विधि समझाने की कोशिश की है, उससे व्यापक पैमाने पर मीठा पानी हासिल कर पाना संभव होगा।

इस दल ने 210 मीटर चौड़े और एक सौ मीटर ऊंचे एक ढांचा पर इसे आजमाया भी है। इस ढांचा में समुद्री भाप को एकत्रित कर जांचा परखा गया है। जिस आधार पर वे लोग इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि भीषण जलसंकट वाले इलाकों में यह विधि कारगर हो सकती है। उनके मुताबिक समुद्री जल के इस भाप को बादल बनने से पहले रोककर भी इसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इससे मीठा पानी उपलब्ध होने के साथ साथ मौसम का चक्र भी निरंतर जारी रखा जा सकेगा।

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