बुर्किना फासोः अपने देश में कथित आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए बुर्किना फासो की सैन्य सरकार ने रूस की निजी सेना की मदद ली है। घाना के राष्ट्रपति नाना आकूफो आडो के इस आरोप के बाद यहां के सैन्य अधिकारियों ने घाना के राजदूत को बुलाकर इस आरोप के लिए चेतावनी दी है। वैसे दोनों देशों के इस आरोप प्रत्यारोब के बीच दुनिया में इस बात की चर्चा फिर से होने लगी है कि रूस की यह निजी सेना अफ्रीका सहित दुनिया के कई इलाको में इस किस्म की गतिविधियों को अंजाम देती रही है।
कहने को यह एक निजी कंपनी है पर उसका नियंत्रण रूसी सेना के पास होता है और इस कंपनी के मालिक को रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन का विश्वासपात्र माना जाता है। बुर्किना फासो में इस्लामी आतंकवादियों का दबदबा है और यहां की सेना को उन आतंकवादियों से लगातार जूझना पड़ रहा है। समझा जाता है कि इसी वजह से उसने रूस की इस निजी सेना की मदद ली है।
इसके पहले पड़ोसी देश माली पर भी यही आरोप लगा था कि उसने अपने यहां सक्रिय आतंकवादियों के सफाये के लिए वॉगनर ग्रूप की मदद ली है। यहां पर कैप्टन इब्राहिम ट्रारोपे ने गत सितंबर माह में सत्ता पर अधिकार जमा लिया था। उसके बाद से ही यह चर्चा प्रारंभ हो गयी थी कि वह दरअसल इस निजी सेना क द्वारा ही सत्ता में लाय गये हैं।
इस देश ने पहले ही फ्रांस के साथ अपना सुरक्षा समझौता समाप्त कर लिया था। पहले यह देश भी फ्रांस के अधीन ही था। पड़ोसी देश घाना के दौरे पर आये यूके के मंत्री एंड्रूयू मिशेल ने इस स्थिति को चिंताजनक बताकर इस बात को और हवा दे दी है कि वाकई यहां रूस की निजी सेना भी मौजूद है।
दूसरी तरफ घाना का आरोप है कि बुर्किना फासो और माली दोनों ही देशों ने इस निजी रूसी सेना को अपने काम में लगातर उनके लिए परेशानी पैदा कर दी है। दूसरी तरफ आतंकवादी गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होने की वजह से अनेक लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। यह सभी लोग भागकर घाना के उत्तरी हिस्से में आने से भी घाना की परेशानियां बढ़ गयी हैं।