राजनीतिहिमाचल प्रदेश

हिमाचल की राजनीति को लेकर दिल्ली दरबार परेशान

कांग्रेस और भाजपा दोनों के अंदर गुटबाजी चरम पर

  • प्रतिभा सिंह के समर्थक हुए मुखर

  • अनुराग ठाकुर के खिलाफ शिकायत

  • पर्यवेक्षकों के सामने भी हुआ विरोध

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः विधानसभा चुनाव जीत जाने के तुरंत बाद कांग्रेस ने अपने परिचित गुटबाजी का अंदाज दिखाना प्रारंभ कर दिया है। दिल्ली से शिमला गये पार्टी के पर्यवेक्षकों को इस गुटबाजी का कहर झेलना पड़ा है। कुछ ऐसा ही नजारा राजस्थान के वक्त भी देखने को मिला था जब वर्तमान पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और अजय माकन जयपुर गये थे। मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के साथ साथ भाजपा के अंदर भी घमासान की स्थिति बनी हुई है। वहां भी अलग किस्म का सत्ता संघर्ष चल रहा है।

कांग्रेस पर्यवेक्षक बनकर गये भूपेंद्र सिंह बघेल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राजीव शुक्ला को वहां नये विधायकों के एक बड़े गुट की नाराजगी का सामना करना पड़ा। शायद पर्यवेक्षक यहां भी विधायकों से इस बात की सहमति चाहते थे कि सदन का नेता चुनने का अधिकार पार्टी हाईकमान को सौंप दिया जाए। इस पर अनेक विधायकों ने नाराजगी जतायी। ऐसा ही वाकया जयपुर में हो चुका था जबकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों ने पर्यवेक्षकों की बात सुनने तक से इंकार कर दिया था। उस घटना से नाराज अजय माकन ने इस पद से इस्तीफा सौंप दिया था।

अंदरखाने से मिल रही जानकारी के मुताबिक पर्यवेक्षकों की गाड़ी के सामने ही कांग्रेसियों ने विरोध प्रदर्शन किया है। ये लोग वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के समर्थक थे। प्रतिभा सिंह पहले ही यह कह चुकी हैं कि यहां का चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के नाम पर कांग्रेस ने लड़ा है। इसलिए उस परिवार को ऩजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पार्टी के विधायकों का एक बड़ा वर्ग उनके समर्थन में है।

दूसरी तरफ इस सीएम कुर्सी के दावेदारों में सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुकेश अग्निहोत्री भी हैं। इसके अलावा अब कुलदीप राठौर का नाम भी इसमें जुड़ गया है। जैसे विधायकों का तेवर है उससे साफ है कि यहां नेता के चयन का फैसला नहीं हो पायेगा। इसलिए पर्यवेक्षक इन विधायकों से इस बात की सहमति ले चुके हैं कि यह फैसला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर छोड़ दिया जाए।

दूसरी तरफ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बीच का विवाद चुनाव परिणाम से स्पष्ट हो चुका है। समझा जाता है कि अपने पिता का टिकट काटे जाने को अनुराग ने अच्छी नजरों से नहीं देखा था लेकिन वह विद्रोह करने की भी स्थिति में नहीं थे। भाजपा के स्थानीय नेताओँ ने जेपी नड्डा के सामने भी अनुराग ठाकुर की शिकायत की है। जिसमें कहा गया है कि उनके इलाके में सारे भाजपा प्रत्याशियों की हार के लिए अनुराग ठाकुर का अंतर्घात ही जिम्मेदार है।

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