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अंटार्कटिका में कोई बहुत विशाल प्राणी हो सकता है

ठंडे प्रदेश के सबसे दक्षिणी इलाके में शोध के दौरान ऐसे संकेत मिले हैं

  • शैवाल की शोध का काम पहले से जारी है

  • यह शैवाल का विशाल जंगल हो सकता है

  • पांच मिलियन वर्गकिलोमीटर का इलाका

राष्ट्रीय खबर

रांचीः अंटार्कटिका के बारे में एक नई जानकारी ने दुनिया को चौंका दिया है। इस बार यह माना जा रहा है कि विज्ञान ने अब तक सारे जीवित प्राणियों को नहीं खोजा है। इनमें से अधिकांश समुद्र की गहराई में हो सकते हैं। इसी क्रम में यह माना गया है कि अत्यंत दुर्गम और ठंडे इलाके अंटार्कटिका में भी हमारे लिए कोई अचरज छिपा हो सकता है।

इस प्राणी के बारे में आकलन है कि यह वहां के सबसे कठिन इलाके के करीब पांच मिलियन वर्ग किलोमीटर के इलाके में घने बर्फ के नीचे हो सकता है। इस संभावना के बारे में वैज्ञानिक पत्रिका मेरिन साइंस में एक लेख प्रकाशित किया गया है। दरअसल मौसम के बदलाव के क्रम में वहां के बर्फखंडों के लगातार पिघलते जाने के दौरान ही शोध दल को इस बारे में कुछ साक्ष्य मिले हैं। इनकी पुष्टि नहीं होने के बाद भी वहां जीवन होने की संभावना व्यक्त की गयी है।

अंटार्कटिका के इलाके में वैज्ञानिक शोध काफी समय से ही जारी है। वहां पर खास तौर पर शोध दल एल्गी यानी शैवाल की स्थिति से वहां मौजूद ऊर्जा एवं अन्य खनिज संसाधनों का पता लगाते रहे हैं। अब गर्मी बढ़ने की वजह से जैसे जैसे वहां बर्फ पिघलने की गति तेज हो रही है, नीचे का प्राचीन बर्फ भी बाहर निकल रहा है। उसके साथ ही प्राचीन काल से यानी लाखों वर्षों से दबे वैज्ञानिक साक्ष्य और अन्य वायरसों के नमूने भी मिल रहे हैं।

अत्यधिक ठंड के इस इलाके में बर्फ के नीचे के शैवाल के बारे में पहले अधिक जानकारी नहीं मिल पायी थी। अब सूर्य की गर्मी से बर्फ पिघलने के बाद ऐसा संभव हो पा रहा है। वैसे इसी आधार पर वैज्ञानिक यह संभावना भी जता रहे हैं कि हो सकता है कि इस विशाल बर्फीले इलाके की गहराई में शैवाल का ही एक बहुत विशाल इलाका हो, जो अब तक विज्ञान की आंखों से ओझल रहा है।

आम तौर पर सामान्य प्राणी के लिए इस अत्यंत कठिन माहौल में जीवित रह पाना ही कठिन है। ठंडे प्रदेशों के प्राणी भी यहां नहीं टिक पाते हैं। इसलिए बहुत मोटे बर्फ की पर्त के नीचे क्या राज छिपा है, उस बारे में पता लगाना भी कठिन है। यहां का मौसम अनुकूल होने पर कुछ समुद्री जीव यहां रहते हैं लेकिन वे भी यहां के स्थायी निवासी नहीं हैं। इसलिए यहां जीवन के नाम पर शैवाल अथवा समुद्री खरपतवार ही मौजूद रहता है।

अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय के शोध दल तथा न्यूजीलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ ऑकलैंड के वैज्ञानिकों ने यह संभावना वहां के आंकड़ों के अध्ययन के बाद जतायी है। इस शोध दल का नेतृत्व क्रिस्टोफर होरवाट कर रहे थे। उनके मुताबिक जो भी जीवन वहां है, वह इस पांच मिलियन वर्गकिलोमीटर के इलाके के नीचे मौजूद है।

शोध दल ने इसके लिए नासा के सैटेलाइटों के आंकड़ों और चित्रों का भी अध्ययन किया है। इस संभावना के बाद वहां अत्याधुनिक उपकरणों की मदद से और अधिक जानकारी हासिल करने की कोशिश तेज हो गयी है। वैसे दूसरे वैज्ञानिक मानते हैं कि किसी बहुत विशाल प्राणी के होने की संभावना नहीं के बराबर है। अगर ऐसा कोई प्राणी होता तो वह कभी न कभी आधुनिक उपकरणों की नजर में आ ही जाता। इसलिए यह शैवाल का बहुत विशाल जंगल हो सकता है, जो ऐसे जीवन के संकेत दे रहा है।

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