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वायरस के हमले का मॉडल बना डाला वैज्ञानिकों ने

  • डियूक विश्वविद्यालय के शोध दल का काम

  • इसे दो माइक्रोस्कोप से रिकार्ड किया गया है

  • जानलेवा वायरसों की रोकथाम का रास्ता मिलेगा

राष्ट्रीय खबर

रांचीः कोरोना महामारी के वैश्विक स्तर पर फैलने का एक लाभ यह हुआ है कि जेनेटिक विज्ञान अब वायरसों पर अधिक ध्यान दे रहा है। इसकी वजह से नई नई सूचनाएं हर दिन सामने आ रही हैं। इस क्रम में पहली बार एक वायरस के इंसानी शरीर पर हमले के क्रम को भी देखा गया है।

इससे यह पता चला है कि इंसानी कोष पर हमला करने में इस वायरस की चतुराई भी नजर आती है। वह बिना किसी सेल के अंदर प्रवेश किये बाहर से ही हमला करने का इलाका खोजता है। इस तलाशी के क्रम में वह वंशवृद्धि कर अपनी ताकत भी बढ़ाता जाता है। सही मौका और स्थान देखकर ही वह हमला करता है। एक बार इंसानी कोष के अंदर प्रवेश करने के बाद वायरस अपना असर दिखाने लगता है। दुनिया भर में कोरोना वायरस से हुई मौतों की वजह से जेनेटिक विज्ञान का ध्यान इन विषाणुओं की तरफ अधिक गया है। यही वजह है कि पहली बार वायरस के इस आचरण का पता चल पाया है।

डियूक यूनिवर्सिटी के शोध दल के इस अनुसंधान की फिल्म भी बनायी गयी है। यह फिल्म करीब ढाई मिनट की है, जिसमें हमला के दौरान तैयार वायरस की गतिविधियों को रिकार्ड किया गया है। अत्याधुनिक यंत्रों की मदद से इस गतिविधि को रिकार्ड करने में जो तस्वीरें ले गयी हैं वे एक सेकंड में एक हजार तस्वीर लेने वाली है। इसे धीमी गति से देखने पर ही यह पता चल पाया है कि हमले के पूर्व वायरस किस तरीके से खुद को तैयार करता है।

कैमरे में जिस वायरस को कैद किया गया है, उसका वास्तविक आकार बालू के एक दाना से ही एक हजार गुणा छोटा है। शोध पर पता चल जाता है कि इंसानी कोष के बीच तैरते इस वायरस की गतिविधियां कैसे कैसे आगे बढ़ती हैं और वह कब एक इंसानी कोष के अंदर प्रवेश करने के बाद इंसान को बीमार बनाता है। इसमें साफ पता चलता है कि इंसानी कोष के संपर्क में आने के तुरंत बाद ही वायरस उस पर हमला नहीं करता है।

इस शोध से जुड़े कर्टनी सीजे जॉनसन ने अपने शोध प्रबंध में इसका विस्तृत विवरण पेश किया है। जिसमें कहा गया है कि शरीर में प्रवेश करने के तुरंत बाद ही वायरस इंसानी कोष पर हमला नहीं करता बल्कि सही समय और स्थान देखकर बड़ी चालाकी से वह हमला करता है। वह कहते हैं कि यह कुछ वैसी ही स्थिति है कि कोई चोर घर के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए अंदर आने का रास्ता देखता है। इस शोध दल के नेता वहां के केमिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफसर केविन वेइशन थे। इस दल में जैक एक्सेल और अन्य लोग भी थे। इन लोगों ने अपने शोध के आधार पर एक थ्री डी फिल्म भी बनायी है। जिसमें वायरस की गतिविधियों को आम आदमी की समझ के लायक बनाया गया है। वैज्ञानिक पत्रिका नेचर मेथट्ड में इसे प्रकाशित किया गया है।

शोध दल ने बताया कि हर इंसान हर दिन लाखों वायरस अंदर लेता है। यह सांस, या दूसरे माध्यमों से आता है। इनमें से अधिकांश खतरनाक नहीं होते। लेकिन कुछ कोविड जैसे भी होते हैं जो महामारी फैला देते हैं। सभी के काम करने का तरीका लगभग एक जैसा ही है। इंसानी शरीर में वायरस का संक्रमण तब बढ़ना प्रारंभ होता है जब वह वायरस किसी इंसानी कोष के अंदर चला जाता है।

यह अंदर की रासायनिक प्रक्रिया पर कब्जा कर अपनी तादाद बढ़ाता चला जाता है। लेकिन इसके लिए पहले किसी भी वायरस का इंसानी सेल के अंदर प्रवेश करना जरूरी है। उसके बिना यह खतरा पैदा नहीं हो सकता। शरीर में मौजूद प्रतिरोधक शक्तियों को यह कैसे चकमा देता है, इसे शोध दल समझने की कोशिश कर रहा है। अनुमान है कि इस रहस्य के सुलझ जाने की स्थिति में कोरोना जैसे जानलेवा वायरसों का बड़ी आसानी से मुकाबला किया जा सकेगा। लेख में बताया गया है कि इसे समझने के लिए दो अलग अलग माइक्रोस्कोपों का प्रयोग कर सारी गतिविधियों को रिकार्ड किया गया है। इसके आधार पर ही वह थ्री डी फिल्म तैयार हो पायी है।

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