कियेबः ईरान ने पहली बार औपचारिक तौर पर इस बात को स्वीकार किया है कि उसने रूस को ड्रोन दिये हैं। उसका तर्क है कि यह ड्रोन यूक्रेन के साथ युद्ध प्रारंभ होन के पहले दिये गये थे। वैसे ईरान ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उसने रूस को जो ड्रोन उपलब्ध कराये हैं, वे विस्फोटक ले जाने में सक्षम हैं अथवा नहीं।
[ads3]ईरान के विदेशी मंत्री ने पहली बार इसे स्वीकारा है वरना इससे पहले ईरान इस आरोप से इंकार करता रहा था। यूक्रेन तथा पश्चिमी देश पहले से यह आरोप लगाते आ रहे हैं। वैसे हाल के दिनों में यूक्रेन की सेना ने ईरान में निर्मित वैसे ड्रोनों को मार गिराया है, जो रूसी सेना के द्वारा छोड़े गये थे। इनमें विस्फोटक लगाकर छोड़ा जा रहा है जो किसी खास लक्ष्य पर पहुंचने के बाद साथ के विस्फोट की वजह से तबाही मचा रहे हैं।
क्रीमिया ब्रिज पर हमले के बाद से रूस ने अब यूक्रेन के नागरिक ठिकानों पर हमला तेज किया है। इन हमलों की वजह से कियेब सहित देश के कई हिस्सों की बिजली गुल हो गयी थी। कुछ लोगों का यह भी आरोप है कि ईरान ने चुपके चुपके रूस को मिसाइल भी उपलब्ध कराये हैं। ईरान के विदेश मंत्री ने कहा युद्ध प्रारंभ होने पहले ड्रोन दिये गये थे लेकिन मिसाइल देने का आरोप सरासर गलत है।
दूसरी तरफ पश्चिमी देशों को गुप्तचर यह बता रहे हैं कि ईरान अभी और ड्रोन देने की तैयारियों में जुटा है। इन ड्रोनों की खासियत यह है कि यह किसी खास इलाके का चक्कर काटता हुआ अपने लक्ष्य की पहचान सुनिश्चित कर लेने के बाद वहां हमला करता है। दूसरी तरफ जर्मनी ने कहा है कि उसने यूक्रेन को गेपार्ड एंटी एयर क्राफ्ट गन और टैंक उपलब्ध कराये हैं।
इनके साथ पर्याप्त गोला बारूद भी दिये गये हैं। इन हथियारों की खासियत यह भी है कि वे ईरान के ड्रोनों को हवा में मार गिराने में सक्षम है। समझा जाता है कि इनके इस्तेमाल से ही यूक्रेन की सेना ने रूसी ड्रोनों को मार गिराया है। दूसरी तरफ रूसी सेना का आरोप है कि यूक्रेन की तरफ से कई देशों के सैन्य विशेषज्ञ रूसी ठिकानों पर हमला कर रहे हैं। ब्लैक सी में मौजूद रूसी नौसेना के जहाज पर हुए हमले में ब्रिटिश विशेषज्ञ शामिल थे, ऐसा आरोप रूस ने पहले ही लगाया है।[ads4]