नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मुलाकात के बाद होगा फैसला
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः बिहार की सियासत में नए साल के साथ ही प्रशासनिक फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकती है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के शुभ अवसर के पश्चात मंत्रिपरिषद में खाली पड़े स्थानों को भरा जाएगा।
इस विस्तार का मुख्य उद्देश्य शासन को और अधिक प्रभावी बनाना और सहयोगी दलों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है। वर्तमान में नीतीश सरकार में कुल 10 पद रिक्त हैं, जिनमें से 6 पद जनता दल यूनाइटेड और 4 पद भारतीय जनता पार्टी के कोटे के माने जा रहे हैं।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, बिहार विधानसभा की सदस्य संख्या के आधार पर मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। एनडीए के भीतर तय किए गए फार्मूले के तहत भाजपा को 17, जदयू को 15, लोजपा (रामविलास) को 2 और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा व रालोमो को एक-एक मंत्री पद आवंटित होना है।
मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए सरकार की कोशिश सामाजिक और जातिगत समीकरणों को साधने की भी होगी। विशेष रूप से कुशवाहा समुदाय और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) को उचित प्रतिनिधित्व देने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि आगामी चुनावों से पहले जनाधार को और मजबूत किया जा सके।
वर्तमान स्थिति यह है कि कई वरिष्ठ मंत्रियों पर एक साथ कई महत्वपूर्ण विभागों का बोझ है। जदयू के वरिष्ठ नेता विजेंद्र यादव और विजय चौधरी जैसे मंत्रियों के पास कई पोर्टफोलियो हैं। इसी तरह भाजपा कोटे के मंत्रियों के पास भी अतिरिक्त प्रभार हैं। मंत्रिमंडल विस्तार के माध्यम से इन विभागों का पुनर्वितरण किया जाएगा ताकि जनहित के कार्यों में गति आ सके।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में एनडीए ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था, जिसमें भाजपा और जदयू का प्रदर्शन काफी प्रभावशाली रहा था। अब इस राजनीतिक सफलता को सुशासन में बदलने के लिए नीतीश कुमार अपनी टीम को अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं।