बिहार से मिले संकेतों से उत्साहित है इंडिया गठबंधन
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राजनीति को जनांदोलन बनाने की तैयारी
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अन्य विपक्षी दलों के नेता भी भाग लेंगे
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के सी वेणुगोपाल ने एक्स पर जानकारी दी
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः कथित वोट चोरी के विरोध में शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा अब बिहार की सीमाओं से निकलकर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का रूप ले चुकी है। इस यात्रा को और भी बल देने के लिए, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के कई प्रमुख नेता इसमें शामिल होने वाले हैं।
इस बात की जानकारी कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में कई बड़े राजनीतिक चेहरे इस यात्रा का हिस्सा बनेंगे, जिनका उद्देश्य जनता को लोकतंत्र और मतदान के महत्व के प्रति जागरूक करना है।
यह यात्रा उस समय शुरू हुई जब विपक्ष ने हाल के चुनावों में वोट में हेरफेर और लोकतंत्र विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया। इस यात्रा का मूल उद्देश्य यही है कि आम नागरिक अपने वोट के अधिकार के प्रति सचेत हों और किसी भी तरह की धांधली के खिलाफ आवाज़ उठाएं।
केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर लिखा, वोटर अधिकार यात्रा वोट चोरी के खिलाफ एक ऐतिहासिक आंदोलन बन गई है, जो न केवल बिहार, बल्कि पूरे भारत के लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। आने वाले सप्ताह में इंडिया और कांग्रेस के प्रमुख नेता इस यात्रा में शामिल होंगे।
इस यात्रा में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होकर इसे एक मजबूत राजनीतिक मंच प्रदान कर रहे हैं। 26 और 27 अगस्त को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इसमें शामिल होंगी।
इसके बाद, 27 अगस्त को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन यात्रा को अपना समर्थन देंगे। 29 अगस्त को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया यात्रा में शिरकत करेंगे, और 30 अगस्त को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इसमें शामिल होंगे।
केसी वेणुगोपाल ने यह भी बताया कि आने वाले समय में और भी कई दिग्गज नेता इस यात्रा से जुड़ेंगे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जैसे नेता भी इसमें शामिल होकर अपनी एकजुटता दिखाएंगे। यह एक तरह से विपक्षी दलों का साझा प्रयास है, जो लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए एक साथ आए हैं।
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का कहना है कि यह यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक रैली नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और संविधान को बचाने का एक जन आंदोलन है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि हाल के चुनावों में जिस तरह से वोट चोरी की घटनाएं हुई हैं, वह लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। यह यात्रा इसी खतरे के विरोध में शुरू की गई है।
इस यात्रा के माध्यम से विपक्ष का मानना है कि वे आम लोगों तक यह संदेश पहुंचा पाएंगे कि उनका वोट कितना महत्वपूर्ण है और कोई भी इसे उनसे छीन नहीं सकता। यह यात्रा केवल चुनावी राजनीति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना है।
यह यात्रा एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारतीय राजनीति में मतदाताओं के अधिकार और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को केंद्र में ला रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह आंदोलन देश भर में कितना असर डालता है और क्या यह भविष्य की चुनावी राजनीति में कोई बड़ा बदलाव ला पाएगा। फिलहाल, यह यात्रा भारत के लोकतंत्र को बचाने की एक सामूहिक कोशिश के रूप में उभर रही है।