अमेरिकी टैरिफ की मार का असर कम करने की कोशिश
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पहले भी इतने की कटौती हुई थी
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आर्थिक स्थिति का आकलन कर फैसला
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अमेरिकी टैरिफ की मार से आर्थिक मंदी
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने महंगाई के जोखिम के कम होने और आर्थिक गतिविधियों को सुस्ती से उबारकर तीव्र गति देने के उद्देश्य से बुधवार को नीतिगत दरों में लगातार दूसरी बार 0.25 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया, जिससे घर, कार और अन्य तरह के ऋण की किस्तों में कमी आने की उम्मीद लगाये लोगों को बड़ी राहत मिली है।
एमपीसी ने फरवरी 2025 की बैठक में भी नीतिगत दरों में एक चौथाई प्रतिशत की कटौती की थी। रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासक तीन दिवसीय बैठक में लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुये कहा कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की गयी और सुस्त अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अपनी मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ से समायोज्य में बदल दिया है।
वर्तमान और विकसित हो रही व्यापक आर्थिक स्थिति का आकलन करने के बाद एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 25 आधार अंक घटाकर 6.00 प्रतिशत करने के लिए मतदान किया। इससे चल निधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.75 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.25 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को चार प्रतिशत के भीतर रखने के उद्देश्य के अनुरूप है, जबकि विकास को समर्थन प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि जनवरी-फरवरी 2025 के दौरान मुख्य मुद्रास्फीति में कमी आई।
खाद्य मुद्रास्फीति में तीव्र सुधार के बाद खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निर्णायक रूप से सकारात्मक हो गया है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति चार प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में महंगाई दर 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में थोड़ी अधिक 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। श्री मल्होत्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अब 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है ।
पहले इसके 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था लेकिन अब इसमें 20 आधार अंकों की कमी की गयी है। इसके आधार पर पहली तिमाही में 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि जोखिम इन आधारभूत अनुमानों के आसपास समान रूप से संतुलित हैं लेकिन अनिश्चितताएं अधिक बनी हुई हैं। दरअसल अमेरिका के टैरिफ नियमों के अमल में आने के बाद से ही भारतीय बाजार में उथलपुथल है। अनेक विदेशी निवेशकों में माहौल को भांपकर अपने पैसे निकालना जारी रखा है। इसी वजह से छोटे और खुदरा निवेशकों को इस हाल में आर्थिक नुकसान हुआ है। अब रिजर्व बैंक के इस फैसले से डगमगाते शेयर बाजार को भी थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।