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उच्च न्यायपालिका में आरक्षण नहीं: अठावले

राज्यसभा में विभागीय मंत्री ने सदन के समक्ष जानकारी रखी

  • अब देश में जाति व्यवस्था नहीं है

  • आरक्षित पदों को भरने का काम जारी

  • पीएम अजेय योजना की भी जानकारी दी

नईदिल्लीः केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत देश में जाति व्यवस्था समाप्त हो चुकी है और उच्च न्यायपालिका में आरक्षण नहीं तथा आरक्षित रिक्त पदों को भरने की कोशिश जारी है।

श्री अठावले ने प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि संविधान के प्रावधानों के तहत अब देश में जाति व्यवस्था नहीं है। सरकार सभी को न्याय दिलाने के लिए कटिबद्ध है और मोदी सरकार अब पूरी तरह से गरीबी उन्मूलन की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर हो गये हैं।

एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण है। आरक्षित रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है और सरकार की पूरी कोशिश इन पदों को भरने की रहती है।

एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि समाज के अंतिम पंक्ति के लोगों के कल्याण के लिए मोदी सरकार ने बहुत सी योजनायें बनायी है। वर्ष 2004 से 2014 की तुलना में अनुसचूति जाति, अनुसूचित जनजाति और दिव्यांगों के कल्याण के लिए आवंटन में कई गुना की बढोतरी की गयी है।

इसी क्रम में पीएम अजेय योजना का संचालन भी किया जा रहा है जिसके तहत ऐसे गांव आते हैं जहां 500 से अधिक आबादी अनुसूचित जाति और जनजाति की होती है। इन गांवों के विकास के लिए आर्दश ग्राम योजना, अनुदान योजना और छात्रावास योजना संचालित की जा रही है ताकि ऐसे पीएम अजेय गांव भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सके। पूरे देश में 11 हजार से अधिक गांव इस योजना में शामिल है और इसके लिए 1628 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के 1690 गांव पीएम अजेय योजना में आते हैं और इसके लिए 210 करोड़ रुपये अधिक की राशि आवंटित की गयी है। श्री अठावले ने एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि देश की न्यायपालिका में आरक्षण नहीं है, लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने के मुद्दे को वह कानून मंत्री तक पहुंचा देंगे। उनसे पूछा गया था कि उच्च न्यायपालिका में अभी कितने आरक्षित पद रिक्त हैं और उनको भरने की क्या व्यवस्था है।

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