इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ बोली केंद्रीय मंत्री
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केंद्रीय मंत्री ने शीर्ष अदालत का ध्यान खींचा
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अन्य महिला नेत्रियों ने भी इसकी आलोचना की
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न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा का फैसला
राष्ट्रीय खबर
नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हाल ही में दिए गए एक निर्णय की कड़ी निंदा की, जिसमें कहा गया था कि किसी महिला के स्तन को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी को तोड़ना बलात्कार नहीं है, बल्कि यह कपड़े उतारने के इरादे से किया गया हमला है। निर्णय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, सुश्री देवी ने इसे गलत बताया और सर्वोच्च न्यायालय से इस मामले पर ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह के निर्णय से समाज में गलत संदेश जाएगा।
उनका यह बयान न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा द्वारा जारी किए गए आदेश के जवाब में आया है, जिन्होंने दो पुरुषों के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिन्होंने बलात्कार के आरोप में उन्हें तलब करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। सुश्री देवी की भावनाओं को दोहराते हुए, अन्य महिला नेताओं ने भी सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप का आह्वान किया।
यह काफी घृणित है कि देश में महिलाओं के प्रति पूरी तरह से उपेक्षा की जाती है, जिसे हमें दूर करने की आवश्यकता है तृणमूल कांग्रेस की सांसद जून मालिया ने कहा, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं फैसले में की गई टिप्पणियों से बहुत स्तब्ध हूं। यह बहुत शर्मनाक स्थिति है। उन लोगों द्वारा किए गए कृत्य को बलात्कार के बराबर का कृत्य कैसे नहीं माना जा सकता? मुझे इस फैसले के पीछे का तर्क समझ में नहीं आता।
मामला 10 नवंबर, 2021 का है। पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, वह और उसकी 14 वर्षीय बेटी शाम को अपनी भाभी के घर से लौट रही थी, तभी उनके गांव के तीन लोग – पवन, आकाश और अशोक – कीचड़ भरी सड़क पर उनके पास आए। पवन ने पीड़िता की बेटी को अपनी मोटरसाइकिल पर घर छोड़ने की पेशकश की और महिला ने उस पर भरोसा करते हुए अपनी बेटी को उसके साथ जाने दिया।
आरोपी ने रास्ते में उसे रोका और कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की। पीड़िता की शिकायत के अनुसार, पवन और आकाश ने उसके स्तनों को पकड़ा और आकाश ने उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। उसने उसके पायजामे का नाड़ा भी तोड़ दिया। पीड़िता की मदद के लिए चीखने की आवाज सुनकर दो लोग मौके पर पहुंचे, जिसके बाद मारपीट रुकी। इसके बाद आरोपी ने कथित तौर पर देसी पिस्तौल लहराई और भाग गया। मामले की समीक्षा करते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि आरोपी की हरकतें बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आती हैं।