Breaking News in Hindi

इसरो ने दो स्पैडेक्स उपग्रहों को किया अनडॉक, देखें वीडियो

अंतरिक्ष अनुसंधान में एक कदम और आगे बढ़ गया भारत

  • चार चरणों में पूरा हुआ यह मिशन

  • दुनिया का चौथा देश बन गया भारत

  • इसरो ने ही एक्स पर इसकी जानकारी दी

राष्ट्रीय खबर

चेन्नईः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में  एक और इतिहास रचते हुए गुरुवार को स्पैडेक्स डॉकिंग प्रायोगिक मिशन के अंतर्गत प्रक्षेपित किए गए दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक अनडॉक किया। इसरो ने आज एक्स पर एक पोस्ट में कहा स्पेडेक्स अनडॉकिंग सफल! इस उपलब्धि पर भारत को बधाई!

इसरो ने इसका वीडियो जारी किया है

इस बीच, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस घटना को अविश्वसनीय करार दिया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निरंतर संरक्षण से उत्साह बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस सफल अनडॉकिंग से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान मिशन सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन होने का मार्ग प्रशस्त होगा।

डॉ सिंह ने एक्स पर लिखा, इसरो टीम को बधाई। हर भारतीय के लिए खुशी की बात है। यह भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो देश को भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशनों सहित उन्नत अंतरिक्ष मिशनों तक पहुंचाएगी।  इसरो के स्पैडेक्स मिशन को 30 दिसंबर, 2024 को पीएसएलवी-सी60 द्वारा प्रक्षेपित किया गया जिसका उद्देश्य दो अंतरिक्ष यानों की कक्षा में एक दूसरे से जुड़ने की क्षमता का परीक्षण करना था।

जो कि केवल कुछ ही देशों ने हासिल किया है। दो उपग्रह, एसडीएक्स-1 और एसडीएक्स-2 को 16 जनवरी, 2025 को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया गया, जिससे भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस जटिल अंतरिक्ष अभियान को पूरा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। डॉक करने के कई सप्ताहों के बाद, इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक अनडॉकिंग प्रक्रिया को पूरा किया।

इस क्रम में अलगाव बनाने के लिए एसडीएक्स-2 को बढ़ाना, निर्धारित समय पर कैप्चर लीवर 3 को छोड़ना, एसडीएक्स-2 में कैप्चर लीवर को डिसएंगेज करना, और एसडीएक्स-1 और एसडीएक्स-2 दोनों में अंतिम डीकैप्चर कमांड जारी करना शामिल था, जिससे एक सुचारू और नियंत्रित अनडॉकिंग प्रक्रिया पूरी हुई।

इन सभी चरणों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, स्पेडेक्स अनडॉक हुआ। इस सफलता के साथ, भारत ने एक बार फिर उन्नत अंतरिक्ष परिचालन में अपनी बढ़ती क्षमताओं को साबित किया है, जिससे आने वाले वर्षों में बड़े और साहसिक मिशनों का मार्ग प्रशस्त हो गया है। स्पैडेक्स मिशन को 20 दिसंबर, 2024 को इसरो के विश्वसनीय और अत्याधुनिक पीएसएलवी-सी60 का उपयोग करके श्रीहरिकोटा के शार रेंज से प्रक्षेपित किया गया था।

स्पाडेक्स मिशन पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है। यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे कि चंद्रमा पर भारत की यात्रा, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि के लिए बहुत आवश्यक है।

अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रौद्योगिकी तब आवश्यक हो जाता है जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेटों के प्रक्षेपण की आवश्यकता होती है। इस मिशन के माध्यम से भारत अपने अंतरिक्ष मिशन में अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत प्राप्त करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।

स्पैडेक्स मिशन में दो छोटे अंतरिक्ष यान (प्रत्येक लगभग 220 किग्रा) शामिल थे, जिन्हें पीएसएलवी-सी60 द्वारा स्वतंत्र रूप से और एक साथ, 55 डिग्री झुकाव पर 470 किमी वृत्ताकार कक्षा में प्रक्षेपित किया गया, जिसका स्थानीय समय चक्र लगभग 66 दिन का था।  इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ, भारत ने 16 जनवरी को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) के अंतर्गत अपना पहला अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया, जिससे वह अमेरिका, रूस और चीन के बाद इस तकनीकी उपलब्धि को प्राप्त करने वाला विश्व का चौथा देश बन गया।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।