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सीएजी रिपोर्ट ने पहले की याद दिला दी

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को 21 आप विधायकों को अगली तीन बैठकों के लिए कार्यवाही में भाग लेने से निलंबित कर दिया, जबकि सदन में आबकारी नीति पर सीएजी रिपोर्ट पर चर्चा के लिए सत्र को तीन दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था।

सदन में कार्यवाही में बाधा डालने और जय भीम के नारे लगाने तथा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के कार्यालय में डॉ. बी.आर. अंबेडकर और शहीद भगत सिंह की तस्वीरें वापस लाने की मांग करने के कारण विपक्ष की नेता आतिशी सहित निलंबित आप विधायकों को मार्शलों द्वारा सदन से बाहर निकाल दिया गया।

मुख्यमंत्री ने इस आरोप का खंडन किया। संयोग से, ओखला से आप विधायक अमानतुल्लाह खान 22 विधायकों में से एकमात्र ऐसे विधायक थे जिन्हें निलंबित नहीं किया गया क्योंकि वे मंगलवार को सदन में मौजूद नहीं थे। बाद में, अध्यक्ष गुप्ता ने संवाददाताओं को बताया कि आप विधायकों का निलंबन 25, 27 और 28 फरवरी को भी लागू रहेगा।

उन्होंने कहा कि आबकारी नीति पर सीएजी रिपोर्ट को सदन में सदस्यों द्वारा चर्चा के बाद लोक लेखा समिति को भेजा जाएगा। उन्होंhttp://सीएजी रिपोर्टने संकेत दिया कि सदन में और भी सीएजी रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है, जिसका सत्र 3 मार्च तक बढ़ा दिया गया है।

लेकिन यह याद रखना होगा कि डॉ मनमोहन सिंह की सरकार को कोयला घोटाला और स्पेक्ट्रम घोटाला की वजह से नुकसान हुआ था। कई मंत्री जेल तक चले गये थे। बाद में अदालत ने सबूत के अभाव में सभी अभियुक्तों को रिहा कर दिया। जिस सीएजी यानी विनोद राय की रिपोर्ट पर यह सब कुछ हुआ था उन्होंने बाद में इससे उपजे कानूनी विवाद पर बिना शर्त माफी मांगी थी।

2014 में, श्री राय ने मीडिया को दिए साक्षात्कारों के दौरान, श्री निरुपम का नाम उन सांसदों में से एक के रूप में लिया, जिन्होंने कथित तौर पर 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले पर अपनी रिपोर्ट से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम बाहर रखने के लिए उन पर दबाव डाला था। साक्षात्कार श्री राय की 2014 की पुस्तक, नॉट जस्ट एन अकाउंटेंट: द डायरी ऑफ़ द नेशन्स कॉन्शियस कीपर के विमोचन के समय प्रसारित और प्रकाशित किए गए थे। एक वीडियो बयान में, श्री निरुपम ने श्री राय की बिना शर्त माफ़ी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह स्वर्णिम दिन था। मैंने उस समय पूर्व सीएजी से अपने गलत बयानों को वापस लेने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया।

उन्होंने कहा, मैंने तदनुसार नई दिल्ली के पटियाला हाउस में मेट्रोपोलिटन कोर्ट में श्री राय के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया।

अदालत ने यह नहीं कहा, लेकिन मैं यह कहना चाहूंगा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में उन्होंने जो रिपोर्ट तैयार की, वह बकवास थी… 2जी रिपोर्ट के मामले में, सात साल की सुनवाई के बाद, न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआई ने कथित घोटाले का कोई सबूत नहीं दिया है।

हलफनामे (23 अक्टूबर को नोटरीकृत) में, श्री राय ने कहा कि उन्होंने सितंबर 2014 में प्रसारित मीडिया साक्षात्कारों में श्री निरुपम के खिलाफ कुछ बयान दिए थे।

मुझे एहसास हुआ है कि साक्षात्कारकर्ताओं द्वारा मुझसे पूछे गए सवालों के जवाब में, मैंने अनजाने में और गलत तरीके से श्री संजय निरुपम का नाम उन सांसदों में से एक के रूप में उल्लेख किया था, जिन्होंने पीएसी (लोक लेखा समिति) की बैठकों या जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) आदि की बैठकों के दौरान 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर सीएजी रिपोर्ट से तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह का नाम बाहर रखने के लिए मुझ पर दबाव डाला था, श्री राय ने हलफनामे में कहा, और कहा कि टेलीविजन पर प्रसारित और प्रकाशित बयान तथ्यात्मक रूप से गलत थे।

इसलिए सीएजी की रिपोर्ट साक्ष्य पर कितना आधारित है, यह सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि इस शराब घोटाला मामले में केंद्रीय एजेंसियों लगातार प्रयास के बाद भी कोई ठोस सबूत नहीं तलाश पायी है, जो अदालत में स्वीकार्य हो।

इसी वजह से अभियुक्तों को जमानत भी मिल चुकी है। विनोद राय कोयला घोटाला और स्पेक्ट्रम घोटाला में लाखों करोड़ का नुकसान होने की बात कहकर देश विदेश में चर्चित हो चुके थे।

बाद में यह पता चला कि दरअसल वह अंदर ही अंदर भाजपा के कुछ लोगों के निकट संपर्क में थे। इसका लाभ उन्हें मोदी सरकार में भी दूसरे तरीके से मिला है।

लिहाजा सीएजी की रिपोर्ट दस्तावेजी साक्ष्यों पर कितना आधारित है और क्या यह सिर्फ अनुमान मात्र है, इसकी परख जरूरी है। अभी तक तो सिर्फ घोटाला होने की रिपोर्ट है पर घोटाला का पैसा कहां गया, इसका कोई सबूत तमाम केंद्रीय एजेंसियां कोशिश कर भी नहीं तलाश पायी हैं।इसलिए रिपोर्ट के बाद अब साक्ष्य का भी दर्शन होना चाहिए।

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