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अवैध अप्रवासी भारतीयों का मुद्दा गंभीर

संयुक्त राज्य अमेरिका से 100 से अधिक अवैध भारतीय अप्रवासियों का निर्वासन इस बात का संकेत है कि अमेरिकी प्रशासन अपने आव्रजन कानूनों को कितनी गंभीरता से लागू कर रहा है।

यह उन परिस्थितियों की ओर भी इशारा करता है, जिनके कारण भारत में कई लोग दूसरे देश में प्रवेश करने के लिए जोखिम भरे और अवैध तरीकों का सहारा लेकर बेहतर जीवन की तलाश कर रहे हैं।

अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने वाले अधिकांश लोग ऐसे राज्यों से हैं, जहां प्रवास की परंपरा रही है – कानूनी और अवैध – और उनमें से अधिकांश ने इस यात्रा के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए होंगे।

प्रवासियों को लेकर और अधिक विमान देश में उतरने वाले हैं; सैन्य विमानों में हथकड़ी लगाए भारतीयों को सामूहिक रूप से निर्वासित करने में राष्ट्रीय अपमान का तत्व भी है।

यह स्पष्ट था कि अमेरिका कुछ वर्षों से अवैध अप्रवासियों के खिलाफ अपने अभियान को तेज कर रहा था। पिछले साल भी भारत सहित अन्य देशों में निर्वासन हुआ था।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे और बड़ा धक्का दिया है, जिससे इसे और अधिक पैमाने और दृश्यता मिली है क्योंकि वे अपने आव्रजन विरोधी रुख पर जोर देकर एक राजनीतिक मुद्दा भी बनाना चाहते थे। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने स्पष्ट किया है कि निर्वासन आव्रजन कानूनों को कड़ा करने और अवैध प्रवासियों को हटाने की प्रशासन की नीति के अनुसार है। निर्वासन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले हो रहा है, जहां आव्रजन पर चर्चा होने की संभावना है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की हाल की अमेरिका यात्रा के दौरान यह मुद्दा चर्चा का विषय रहा था। मंत्री ने अमेरिका को आश्वासन दिया था कि भारत सभी प्रवासियों की वैध वापसी के लिए तैयार है। भारत ने टकराव की स्थिति नहीं अपनाकर अच्छा किया, जैसा कि कुछ दक्षिण अमेरिकी देशों ने शुरू में करने की कोशिश की थी।

भारत अमेरिका में सबसे बड़ी अवैध अप्रवासी आबादी वाले देशों में से एक है, जिसकी अनुमानित संख्या 7.5 लाख से अधिक है। यह भारत के लिए कोई श्रेय की बात नहीं है कि उसके इतने सारे नागरिक उसके कानूनों को छुपकर और चकमा देकर दूसरे देश में रह रहे हैं। भारत की जिम्मेदारी है कि वह उनके प्रमाण-पत्रों के सत्यापन के बाद उन्हें वापस ले।

उम्मीद है कि प्रवासियों की वापसी उन लोगों के लिए एक निवारक के रूप में काम करेगी, जो अभी भी बेहतर जीवन का सपना देखते हुए अमेरिका या अन्य देशों में जाने की योजना बना रहे हैं।

अवैध प्रवास को रोकने की जरूरत है; सरकार को उन नेटवर्कों पर नकेल कसनी चाहिए जो अवैध तरीकों से प्रवास को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्यों में काम करते हैं।

लोगों को दूसरे देशों में अवैध प्रवेश के जोखिमों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए। यह भी माना जाना चाहिए कि अगर यहाँ रहने की स्थिति उनके लिए बेहतर हो तो बहुत से लोग देश छोड़ने के बारे में नहीं सोचेंगे। लेकिन विदेश मंत्री ने अमेरिकी नियम का हवाला देने के क्रम में यह साफ नहीं किया कि दूसरे सम्मानजनक तरीके से इनलोगों की वापसी के बारे में भारत सरकार ने क्या पहल किया था।

अपने चुनाव के प्रचार के दौरान ही बार बार डोनाल्ड ट्रंप यह मुद्दा उठा रहे थे। दूसरी तरफ इसकी जानकारी होने के बाद भी भारत सरकार की तरफ से ऐसे लोगों को विदेश भेजने वालों को पकड़ने की दिशा में क्या कार्रवाई की गयी थी।

अब संसद में हंगामा होने के बाद एक एक कर सरकारी बयान आ रहा है। इन बहसों के बीच यह विषय गंभीर है कि इनमें से अनेक लोगों को कर्ज लेकर यह अवैध विदेश यात्रा की थी और गलत रास्ते से अमेरिका जाने के क्रम में उन्होंने जो पैसा खर्च किया है, वह किनकी जेबों में गया है।

यह पहले से ही पता था कि इसी तरीके से अमेरिका जाने के क्रम में गुजरात का एक परिवार कनाडा की सीमा पर बर्फ के तूफान में फंसकर मर गया था।

अमेरिकी सीमा पर पकड़े जाने के तुरंत बाद ही भारत सरकार को इनकी सूचना आयी थी। अब हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ी पहनाकर लाये गये भारतीयों की तस्वीर सामने आने के बाद दलील पर दलील दिये जाने का औचित्य क्या है।

कूटनीतिक स्तर पर यह घटना नये संकेत देती है क्योंकि इसी माह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अमेरिका का दौरा करने वाले हैं और वहां उनकी मुलाकात डोनाल्ड ट्रंप से होनी है। वैसे डोनाल्ड ट्रंप ने यह तो साफ कर दी दिया है अमेरिकी हित उनकी प्राथमिकता है। अब यह भारत सरकार को साफ करना है कि ऐसे मुद्दों पर वह किसके साथ खड़ी है और अप्रवासी भारतीयों को लूटने वालों पर क्या कार्रवाई कर पाती है।

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