केंद्र सरकार की लगातार चुप्पी के बीच बिगड़ रहा माहौल
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पटियाला अस्पताल में दम तोड़ा
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एक साल से जारी है उनका प्रदर्शन
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तीनों कृषि कानूनों पर नया खेल जारी
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः किसान नेताओं ने बताया कि शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे 55 वर्षीय किसान ने गुरुवार को कथित तौर पर आत्महत्या की कोशिश की। तीन सप्ताह के भीतर आंदोलन स्थल पर यह दूसरी ऐसी घटना है। रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के तरनतारन जिले के पहुविंड के रहने वाले किसान ने शंभू बॉर्डर पर यह कदम उठाया, जहां किसान लगभग एक साल से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और केंद्र से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का दबाव बना रहे हैं।
एक अन्य किसान नेता तेजवीर सिंह ने बताया कि किसान कथित तौर पर विरोध के बावजूद मुद्दों को हल नहीं करने के लिए केंद्र से नाराज था। उसे पटियाला के राजिंदरा अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। 18 दिसंबर को एक अन्य किसान ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।
माना जा रहा है कि वह 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की बिगड़ती सेहत से व्यथित हैं, जो 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं। मंगलवार को किसान नेताओं ने चेतावनी दी थी कि अगर दल्लेवाल के साथ कुछ अनहोनी होती है तो केंद्र स्थिति को संभाल नहीं पाएगा। किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा, भगवान न करे अगर दल्लेवाल जी के साथ कुछ अनहोनी होती है, तो शायद स्थिति केंद्र सरकार के नियंत्रण में नहीं रह पाएगी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल से मुलाकात की। पटियाला के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मनदीप सिंह सिद्धू ने कहा कि किसान नेता ने चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दल्लेवाल से बात करने का आग्रह किया। सिंह ने कहा, पंजाब सरकार उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर चिंतित है…मैं प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री से अपील करता हूं कि वे उनसे बात करें…अगर प्रधानमंत्री उनसे फोन पर भी बात करते हैं, तो भी पूरी समस्या हल हो जाएगी। पंजाब की सीमा भी फिर से खुल जाएगी। आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा दोबारा से तीनों कृषि कानूनों को जिंदा करने की कोशिशों को जानकर भी किसान संगठन फिर से आक्रोशित है। अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने केंद्र सरकार के इस पत्र के बारे में लोगों को आगाह किया है। इसके बाद से किसान संगठन केंद्र के प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं, जो अब तक इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।