अनशन पर बैठे दल्लेवाल के स्वास्थ्य में गिरावट दर्ज
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अनशनकारी को चिकित्सा सहायता मिलें
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जोर जबर्दस्त से स्थिति बिगड़ सकती है
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किसानों को बताएं कि अदालत सुन रही है
नईदिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कृषि उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा खनौरी सीमा पर एक माह से अधिक समय से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे 70 वर्षीय किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की चिकित्सा से संबंधी मामले से निपटने में पंजाब सरकार के जबाव से असंतुष्टि व्यक्त करते हुए शुक्रवार को उसे फिर कड़ी फटकार लगाई तथा जवाब के लिए एक और मौका दिया था।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन विशेष पीठ ने अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, हम पंजाब के डीजीपी और मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामों से बिल्कुल असंतुष्ट हैं। पीठ ने श्री दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने में विफल रहने पर पंजाब सरकार को फिर कड़ी फटकार लगाई और कहा कि समय बीत रहा है।
इस संकट को जल्द से जल्द खत्म करने की जरूरत है। विशेष पीठ ने पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह के अलावा राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘हम केवल यह देखना चाहते हैं कि हम 20 दिसंबर के आदेश के अनुपालन के संबंध में पंजाब द्वारा किए गए प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 31 दिसंबर की तारीख मुकर्रर करते हुए कहा, ‘जबाव (संबंधित पक्षों की राय) के मद्देनजर हम निर्देशों (चिकित्सा संबंधी अदालती आदेश) का पालन करने के लिए और समय देने के पक्ष में हैं। हम केंद्र सरकार को आदेशों के अनुपालन के लिए (चिकित्सा सहायता) अपेक्षित जरूरी सहायता प्रदान करने का निर्देश देते हैं।
विशेष सुनवाई के दौरान श्री सिंह ने कहा कि श्री दल्लेवाल ने चिकित्सा हस्तक्षेप (धरना स्थल से अस्पताल ले जाने के लिए) से इनकार कर दिया है और कहा कि ऐसा कोई भी कदम आंदोलन के उद्देश्य को कमजोर करेगा। महाधिवक्ता ने कहा कि एक दिन पहले राज्य के विधायकों और मंत्रियों के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने किसान नेता श्री दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता लेने के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
इस पर पीठ ने कहा, यह सब दर्शाता है कि आप उनके वहीं रहने के कारण का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर आश्वासन देने के लिए किसान नेता द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र का हवाला दिया। श्री सिंह ने कहा, हम जमीनी हालात से अनजान नहीं रह सकते…हमें टकराव से पहले समझौता करना होगा।
उन्होंने संकेत दिया कि किसी भी तरह की जबरदस्ती हस्तक्षेप जमीनी स्थिति को और खराब कर सकती है। पीठ ने कहा, हम आश्वासन दे रहे हैं कि हमने पहले ही एक समिति गठित कर दी है, जिसमें ज्यादातर किसान प्रतिनिधि शामिल हैं। हरियाणा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब पुलिस यह नहीं कह सकती कि वह स्थिति में हस्तक्षेप नहीं कर पाएगी,
क्योंकि देश की सर्वोच्च अदालत पहले ही किसानों को आश्वासन दे चुकी है। अदालत ने अंत में राज्य के अधिकारियों को कुछ और समय देने को प्राथमिकता दी और पंजाब के डीजीपी और मुख्य सचिव से कहा, हम स्थिति को शांत करने के लिए इसे आपकी विशेषज्ञता, अनुभव और रणनीतियों पर छोड़ते हैं।