ना बोले का यह गीत तब रटाया जाता है जब गाड़ी फंसती हुई नजर आती है। जीं हां मैं इस बार के संसद के शीतकालीन सत्र की बात कर रहा हूं, जहां का अधिकांश समय आपस की खींचातानी में चला गया और इसका सारा खर्च देश के मैंगो मैन ने उठाया।
मसला संसद के मकर द्वार के समक्ष राहुल गांधी द्वारा दो भाजपा सांसदों को धक्का देने का है। लेकिन पहले की एक घटना को याद कर लीजिए। सभापति के सभापति जगदीप धनखड़ ने ने सदन को सूचित करते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद नियमित तोड़फोड़ विरोधी जांच के दौरान, सुरक्षा अधिकारियों ने सीट संख्या 222 से नोटों की एक गड्डी बरामद की, जो वर्तमान में तेलंगाना राज्य से निर्वाचित अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है।
मामला मेरे संज्ञान में लाया गया, और मैंने सुनिश्चित किया कि जांच हो, और जांच चल रही है। सिंघवी ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा, पहली बार इसके बारे में सुना। अब तक इसके बारे में कभी नहीं सुना! मैं जब भी राज्यसभा जाता हूँ तो 500 रुपये का एक नोट साथ रखता हूँ। पहली बार इसके बारे में सुना। मैं कल दोपहर 12.57 बजे सदन के अंदर पहुँचा, और सदन दोपहर 1 बजे उठा। फिर मैं श्री अयोध्या रामी रेड्डी के साथ दोपहर 01.30 बजे तक कैंटीन में बैठा, फिर मैं संसद से चला गया।
बेशक, इस बात की जांच होनी चाहिए कि लोग कैसे आ सकते हैं और किसी भी सीट पर कहीं भी कुछ भी रख सकते हैं। इसका मतलब है कि हममें से हर किसी के पास एक सीट होनी चाहिए, जहाँ सीट को खुद ही लॉक किया जा सके और चाबी संसद सदस्य अपने घर ले जा सकें। क्योंकि तब हर कोई सीट पर कुछ भी कर सकता है और इस बारे में आरोप लगा सकता है। उन्होंने आगे कहा, अगर यह दुखद और गंभीर नहीं होता, तो यह हास्यास्पद होता। मुझे लगता है कि सभी को इस मामले की तह तक पहुँचने में सहयोग करना चाहिए और अगर सुरक्षा एजेंसियों में कोई कमी है, तो उसे भी पूरी तरह से उजागर किया जाना चाहिए।
इसके बाद अब संसद के मकर द्वार के सामने सांसदों की धक्का मुक्की का मुद्दा आया। जिसमें सत्ता पक्ष की तरफ से आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी द्वारा धक्का देने की वजह से दो सांसद घायल हो गये और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अस्पताल से इन दोनों सांसदों की ऐसी ऐसी तस्वीरें आयी है जो जाहिर तौर पर सवाल खड़े करती है। लेकिन असली सवाल संसद भवन में लगे सीसीटीवी का है। ऊपर के दोनों मामलों की सच्चाई तो सीसीटीवी की जांच से सामने आ सकता था। फिर भी सीसीटीवी फुटेज नहीं आयी जबकि जेल में बंद आप के सत्येंद्र जैन के सीसीटीवी का फुटेज तो बाहर आया था। लिहाजा खेल क्या है, समझा जा सकता है।
इसी बात पर एक पुरानी फिल्म आजाद का यह गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था राजेंद्र कृष्ण ने और संगीत में ढाला था सी रामचंद्र ने। इसे लता मंगेशकर ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं।
ना बोले, ना बोले, ना बोले रे – 2
घूँघट के पट ना खोले रे
राधा ना बोले, ना बोले, ना बोले रे – 2
राधा की लाज भरी अँखियों के डोरे
देखोगे कैसे अब गोकुल के छोरे
देखो मोहन का मनवा डोले रे
राधा ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
घूँघट के पट ना खोले रे
राधा ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
याद करो जमुना किनारे, साँवरिया – 2
ओढ़ी थी राधा की काहे गगरिया
इस कारन ना तुम संग बोले रे
राधा ना बोले, ना बोले रे
ना बोले, ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
घूँघट के पट ना खोले रे
राधा ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
रूठी हुई यूँ ना मानेगी छलिया
चरणों में राधा के, रख दो मुरलिया -2
बात बन जायेगी हौले हौले रे
राधा ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
घूँघट के पट ना खोले रे
राधा ना बोले, ना बोले, ना बोले रे
वैसे कोई कुछ बोले या ना बोले, इंडिया का मैंगो मैन खुद में बड़ा समझदार है और सच झूठ का फर्क करना बेहतर तरीके से जानता है। दरअसल बाबा साहेब के बारे में गृहमंत्री का बयान भाजपा के गले में हड्डी की तरह फंस गया है।
हर बार की तरह इस बार भी मामले को दूसरी तरफ धकेलने का खेल पुराना पड़ गया है। दरअसल ईडी और सीबीआई का खेल फेल होने के बाद कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा क्योंकि फिर से दिल्ली का चुनाव करीब आ रहा है।