महाराष्ट्र में सहयोगी नहीं भाजपा वाले भी बयान से नाराज
राष्ट्रीय खबर
मुंबईः बटेंगे तो कटेंगे का नारा, जिस पर विपक्ष ने सांप्रदायिक रंगत का आरोप लगाया था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही इसमें बदलाव कर दिया है। इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, एक है तो सेफ है।
महाराष्ट्र में पार्टी के प्रचार अभियान में सबसे आगे चल रहे भाजपा के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ के बटेंगे तो कटेंगे नारे से न सिर्फ सहयोगी परेशान हैं, बल्कि भाजपा नेताओं के एक वर्ग में भी गहरी बेचैनी पैदा हो रही है, जिसमें पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण भी शामिल हैं।
सहयोगियों में से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने पहले ही अपनी आशंकाओं को साझा करते हुए कहा है कि ऐसे नारे उत्तर में काम कर सकते हैं, लेकिन यह महाराष्ट्र, संतों और शिव के अनुयायियों की भूमि के लिए उपयुक्त नहीं है।
बटेंगे तो कटेंगे का नारा, जिस पर विपक्ष ने सांप्रदायिक रंगत का आरोप लगाया था, पहले ही इसमें बदलाव कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, एक है तो सेफ है, एकता के संदेश को फिर से पेश करते हुए। लेकिन इससे पार्टी नेताओं और सहयोगियों की ओर से नाराजगी की लहर नहीं रुकी।
दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे सबसे पहले बोलने वाली थीं। उन्होंने कल कहा, सच कहूं तो मेरी राजनीति अलग है। मैं सिर्फ इसलिए इसका समर्थन नहीं करूंगी क्योंकि मैं उसी पार्टी से हूं। मेरा मानना है कि हमें सिर्फ विकास पर काम करना चाहिए। एक नेता का काम इस धरती पर रहने वाले हर व्यक्ति को अपना बनाना है।
इसलिए हमें महाराष्ट्र में इस तरह का कोई मुद्दा उठाने की जरूरत नहीं है। अशोक चव्हाण, जिन्होंने फरवरी में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा का दामन थामा था, ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा, इस नारे की कोई प्रासंगिकता नहीं है। नारे चुनाव के समय दिए जाते हैं। यह विशेष नारा अच्छा नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लोग इसे पसंद करेंगे।
व्यक्तिगत रूप से मैं ऐसे नारों के पक्ष में नहीं हूं। इसके बाद अजीत पवार की बारी आई, जिन्होंने भी अपनी बात रखी। शरद पवार के भतीजे ने कहा, मैं इसका समर्थन नहीं कर रहा हूं। मैंने यह कई बार कहा है। यह महाराष्ट्र में काम नहीं करेगा। यह उत्तर प्रदेश, झारखंड या कुछ अन्य जगहों पर काम कर सकता है। शरद पवार की अविभाजित पार्टी को मुसलमानों के बीच काफी समर्थन प्राप्त है।
शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट भी इस नारे की अल्पसंख्यक वोटों को विपक्ष के पक्ष में एकजुट करने और विकास और कल्याण के संदेश को फैलाने की क्षमता से चिंतित है, जिस पर उनकी सरकार कड़ी मेहनत कर रही है। हालांकि, उनकी पार्टी के किसी भी नेता ने इस मामले पर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। आज उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा कि पंकजा मुंडे और अशोक चव्हाण नारे के मूल अर्थ को समझने में विफल रहे हैं, जो वास्तव में एकता का संदेश है।