ईरान और इजरायल के बीच बढ़े तनाव की वजह से
राष्ट्रीय खबर
मुंबईः इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा बिकवाली से आज शेयर बाजार धराशायी हो गया। बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1769.19 अंक अर्थात 2.10 प्रतिशत का गोता लगाकर चार सप्ताह के निचले स्तर और 83 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 82,497.10 अंक रह गया।
इससे पहले यह 04 सितंबर को 82,352.64 अंक पर रहा था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 546.80 अंक यानी 2.12 प्रतिशत की गिरावट लेकर 25,250.10 अंक पर आ गया। दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी बिकवाली हुई, जिससे मिडकैप 2.27 प्रतिशत लढ़ककर 48,362.53 अंक और स्मॉलकैप 1.84 प्रतिशत कमजोर होकर 56,396.36 अंक पर बंद हुआ।
इस दौरान बीएसई में कुल 4076 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2881 में गिरावट जबकि 1107 में तेजी रही वहीं 88 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह निफ्टी की 48 कंपनियों में बिकवाली जबकि अन्य दो में लिवाली हुई। इस सप्ताह मंगलवार को ईरान ने इजराइल पर मिसाइल से हमला करके दोनों देशों में तनाव को जंग तक पहुंचा दिया।
इसके असर से कच्चे तेल के कीमतों में तेजी आई वहीं विश्व बाजार कमजोर हो गया। गांधी जयंती पर अवकाश के बाद गुरुवार को जब घरेलू शेयर बाजार खुला तो यहां भी ईरान और इजराइल जंग का असर देखने को मिला। इसके चलते एक झटके में निवेशकों के करीब 7 लाख करोड़ रुपये डूब गए। मेटल को छोड़ निफ्टी के सभी सेक्टर्स के इंडेक्स लाल निशान में हैं। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बिकवाली का भारी दबाव देखा गया। शेयर बाजार में गिरावट के पीछे मुख्य वजह मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव है।
इजरायल ने लेबनान में जमीनी कार्रवाई शुरू की है और हवाई हमले भी किए हैं। ईरान ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत के बाद इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल हमला करके जवाबी कार्रवाई की। इस संघर्ष के बड़े स्तर के युद्ध में बदलने की संभावना भी जताई जाने लगी है। ऐसे में निवेशक अब शेयर बाजार की जगह गोल्ड जैसे कम जोखिम वाले एसेट्स की ओर मुड़ रहे हैं।
खासतौर से विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। फिडेंट एसेट मैनेजमेंट की फाउंडर और सीआईओ ऐश्वर्या दाधीच ने कहा, अगर मिडिल ईस्ट में कोई बड़ा जवाबी हमला होता है या तनाव बढ़ता है, तो इससे भू-राजनीतिक तनाव बढ़ सकता है, जिसका असर भारत सहित दुनिया भर के शेयर बाजारों पर पड़ सकता है। लेकिन अभी के लिए, मुझे नहीं लगता कि तत्काल चिंता का कोई कारण है। यह गिरावट अस्थायी है।