चुनाव से ऐन पहले हरियाणा में भाजपा की परेशानी बढ़ी
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हरियाणा की सीमा पर रूके हैं किसान
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किसानों ने तलवार देकर सम्मान किया
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सरकार अपना वादा ही जल्द पूरा करे
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः ओलंपियन पहलवान विनेश फोगट किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईंष वहां उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता किसानों की समस्याओं का समाधान करना होनी चाहिए। ओलंपिक पहलवान विनेश फोगट शनिवार को पंजाब के शंभू गांव में किसानों के चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं, जो किसानों की लंबे समय से लंबित मांगों के समर्थन में किया जा रहा है।
इन मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी भी शामिल है। किसानों के समर्थन में उतरीं सुश्री फोगाट ने कहा, मैं अपने परिवार (किसानों) को समर्थन देने आई हूं। देश के किसान संकट में हैं, उनकी समस्याओं का समाधान होना चाहिए, बल्कि उनके मुद्दों का समाधान करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। शंभु बॉर्डर पर किसानों ने उन्हें तलवार भेंट कर सम्मानित भी किया।
किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के बैनर तले किसानों का समूह – पंजाब में किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे दो छत्र निकाय – 13 फरवरी से हरियाणा में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद हरियाणा और पंजाब के बीच अंतर-राज्यीय सीमाओं – शंभू-अंबाला और खनौरी-जींद में डेरा डाले हुए हैं।
उन्होंने पहले अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बनाने के लिए ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया था, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी प्रमुख हैं। किसान केंद्र सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने शंभू में कहा, सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए। पिछले किसान आंदोलन (कृषि कानूनों पर किसानों के साल भर के विरोध का जिक्र करते हुए) के बाद सरकार ने उनसे कुछ वादे किए थे, जिन्हें उसे पूरा करना चाहिए। अगर देश के लोग सड़क पर (विरोध के लिए) बैठे रहेंगे तो यह देश के लिए अच्छा नहीं है। 200 दिन हो गए हैं जब किसान विरोध कर रहे हैं, लेकिन दुख की बात है कि सरकार सुन नहीं रही है।
उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी जायज मांगों के लिए विरोध करते देखना दुखद है, उन्होंने कहा, कभी-कभी, हम उनके लिए कुछ नहीं कर पाने पर असहाय महसूस करते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन हम अपने परिवार (किसानों) के लिए कुछ नहीं कर पाए। मैं यहां आपको यह बताने आई हूं कि आपकी बेटी आपके साथ है। मैं सरकार से उनकी बात सुनने का अनुरोध करती हूं।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच कई चार दौर की बैठकें हुई थीं, लेकिन इसका कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। किसान सड़कों पर हैं और शिकायत कर रहे हैं कि उनके लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि अभी तक एमएसपी पर कोई कानून नहीं बनाया गया है और साथ ही केंद्र सरकार बार-बार अपील के बावजूद उनकी अन्य मांगों पर आंखें मूंद रही है।
एमएसपी वह कीमत है जिस पर सरकार किसानों से कृषि उपज खरीदने का कागजों में वादा करती है। किसानों का आरोप है कि विवादास्पद (निरस्त) कृषि कानूनों पर पहले के आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार ने उनकी मांगों पर गौर करने का वादा किया था, लेकिन वह अपने वादों पर धीमी गति से आगे बढ़ रही है।
इससे ठीक पहले भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रानौत ने किसान आंदोलन के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी कर भाजपा की परेशानियां बढ़ा दी है। उनके बयान के असर को समझते हुए भाजपा ने खंडन जारी किया है और कंगना से भी बिना सोचे समझे बयान नहीं देने की हिदायत दी है।