पेरिस ओलंपिक में हार के बाद विनेश फोगट का भव्य स्वागत किया गया। शनिवार को यहां आईजीआई एयरपोर्ट के बाहर सैकड़ों समर्थकों ने विनेश के साथ एकजुटता दिखाते हुए देश लौटने पर उनका भव्य स्वागत किया। बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और पंचायत नेताओं जैसे सितारों ने विनेश का स्वागत किया। विनेश को पेरिस ओलंपिक में हार का सामना करना पड़ा था।
उन्हें 50 किग्रा फाइनल के दिन अधिक वजन होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। भारी मालाओं से लदी विनेश खुली जीप में खड़ी थीं और उन्होंने सभी समर्थकों का आभार जताया। उन्होंने विनम्रतापूर्वक हाथ जोड़कर कहा, मैं पूरे देश का आभार व्यक्त करती हूं। फोगट का वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया था। राष्ट्रीय राजधानी में उतरने पर सुरक्षा का कड़ा घेरा था।
विशाल कारवां विनेश के साथ हरियाणा में उनके गांव बलाली तक जाएगा। विनेश को पेरिस में ही रुकना पड़ा क्योंकि उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में संयुक्त रजत पदक के लिए अपील की थी जिसे बुधवार को खारिज कर दिया गया। लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले निशानेबाज गगन नारंग, जो पेरिस में भारतीय दल के चीफ डी मिशन थे, ने पेरिस एयरपोर्ट पर फोगट के साथ एक फोटो पोस्ट करते हुए उन्हें चैंपियन बताया।
वे दोनों दिल्ली के लिए एक ही फ्लाइट में थे। वह पहले दिन ही गेम्स विलेज में चैंपियन बनकर आई थी और वह हमेशा हमारी चैंपियन रहेगी। कभी-कभी एक अरब सपनों को प्रेरित करने के लिए किसी ओलंपिक पदक की जरूरत नहीं होती, विनेश फोगाट, आपने पीढ़ियों को प्रेरित किया है। आपके जज्बे को सलाम, नारंग ने एक्स पर पोस्ट किया। विनेश देश लौट रही है।
लोग उसका स्वागत करने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर आए हैं। लोग हमारे गांव में भी उसका स्वागत करने का इंतजार कर रहे हैं। लोग विनेश से मिलने और उसका हौसला बढ़ाने के लिए उत्साहित हैं, उनके भाई हरविंदर फोगट ने कहा। 50 समर्थकों का एक समूह उनकी जीप के पीछे-पीछे चल रहा था।
उन्होंने बलाली की ओर अपनी यात्रा जारी रखने से पहले दिल्ली के द्वारका में एक मंदिर में प्रार्थना की। अपने गृहनगर पहुंचने पर अभिभूत विनेश ने अपने समर्थकों को धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, हालांकि उन्होंने मुझे स्वर्ण पदक नहीं दिया, लेकिन यहां के लोगों ने मुझे वह दिया है। मुझे जो प्यार और सम्मान मिला है, वह 1,000 स्वर्ण पदकों से भी ज़्यादा है।
शनिवार को अपनी अयोग्यता के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में इस पहलवान ने कहा कि अलग परिस्थितियों में वह खुद को 2032 तक प्रतिस्पर्धा करते हुए देख सकती हैं, क्योंकि उनमें अभी भी बहुत कुश्ती बची हुई है, लेकिन अब वह अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं क्योंकि शायद चीजें फिर कभी वैसी न हों।
6 अगस्त को विनेश ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। हालांकि, अगले दिन महिलाओं की 50 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती के फाइनल से पहले, सुबह के वजन के दौरान विनेश को अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि उनका वजन 100 ग्राम अधिक था और इसके बाद उन्हें पदक से वंचित कर दिया गया।
29 वर्षीय इस खिलाड़ी ने अपने संन्यास की घोषणा की, लेकिन बाद में इस फैसले को चुनौती देने की मांग की क्योंकि उन्होंने यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग और इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी के खिलाफ कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में संयुक्त रजत पदक के लिए अपील की। बुधवार को कोर्ट में एकमात्र मध्यस्थ द्वारा लिए गए फैसले में आवेदन को खारिज कर दिया गया। वैसे इन तमाम घटनाक्रमों ने यह साफ कर दिया कि सरकार और खेल महासंघों पर कुंडली मारकर बैठे लोगों की सोच से आम जनता की सोच भिन्न है। वैसे इस पूरे घटनाक्रम पर जिसकी नीयत पर सवाल उठ गये, वह आईओए की प्रमुख पीटी ऊषा है। जंतर मंतर से लेकर पेरिस तक कुर्सी से चिपके रहने की उनकी चाह बार बार स्पष्ट हुई है। लिहाजा देश की जनता की नजरों में उड़न परी का जो सम्मान था, वह उन्होंने खुद ही गवां दिया है।
देश के खेल मंत्री, जो संसद में विनेश पर हुए सरकारी खर्च का हिसाब दे रहे थे, यह उनकी गाल पर भी एक तमाचा है क्योंकि जो हजारों लोग विनेश की स्वागत में आये थे, वे किसी सरकारी खर्च पर नहीं आये थे। इनलोगों ने जनता के पैसे से मंत्रियों की तरह शाही खर्च भी नहीं किया।
जनता के इस सोच को कुर्सी पर बैठे लोग क्यों समझ नहीं पाते हैं, यह अचरज की बात है। इन तमाम घटनाक्रमों से एक अच्छी बात यह निकलकर आयी है कि आने वाले कुछ वर्षों में इस एक महिला पहलवान से प्रेरणा लेकर कुश्ती के मैदान में हम नई पीढ़ी को भी आगे बढ़ते देख सकते हैं, जिन्हें पहले से ही पता होगा कि वजन बढ़ने का खेल कौन खेलता है और उसका नुकसान किसे होता है।