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मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से जमानत

जांच में देर निरर्थक मामला लटकाने की चाल भर है


  • जांच में नाहक विलंब क्या साजिश है

  • चार शर्तों पर जमानत मिली है उन्हें

  • इस फैसले से दूसरों को भी लाभ होगा

राष्ट्रीय खबर

 

नई दिल्ली: दिल्ली शराब नीति से जुड़े एक मामले में जमानत मिलने के बाद आप नेता मनीष सिसोदिया के आज या कल जेल से बाहर आने की उम्मीद है। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तिहाड़ जेल में औपचारिकताएं पूरी होने के बाद श्री सिसोदिया को रिहा कर दिया जाएगा। वकील ने अदालत के आदेश के निहितार्थों के बारे में भी आशा व्यक्त की, उन्होंने कहा, इस आदेश से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले को भी काफी फायदा होगा।

तिहाड़ जेल के सूत्रों ने संकेत दिया कि वर्तमान में जेल नंबर 1 में बंद श्री सिसोदिया संभवतः गेट नंबर 3 से बाहर निकलेंगे, जिसका उपयोग आमतौर पर उस विशिष्ट जेल ब्लॉक से कैदियों की रिहाई के लिए किया जाता है। हालांकि, अगर कोई सुरक्षा चिंता है, तो वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है। आप नेता की रिहाई का सही समय जमानत आदेश की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा।

मानक प्रक्रिया के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट का जमानत आदेश पहले राउज एवेन्यू कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा, जहां आवश्यक जमानत बांड दाखिल किए जाएंगे। और अन्य शर्तें पूरी की जाएंगी। एक बार ये औपचारिकताएं पूरी हो जाने के बाद, जमानत आदेश को कार्यान्वयन के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा।

न्यायमूर्ति बीआर गवई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आज इस बात पर जोर दिया कि बिना किसी सुनवाई के श्री सिसोदिया को लंबे समय तक जेल में रखने से उन्हें त्वरित सुनवाई के उनके मौलिक अधिकार से वंचित होना पड़ा।

न्यायमूर्ति गवई ने स्थिति की तात्कालिकता को रेखांकित करते हुए टिप्पणी की, स्वतंत्रता के मामले में, हर दिन मायने रखता है।

जमानत आदेश मनीष सिसोदिया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया, जो अब समाप्त हो चुकी दिल्ली शराब नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में 17 महीने से अधिक समय से जेल में हैं।

वैसे इस जमानत पर सुनवाई के दौरान केंद्रीय एजेंसियों की दलीलों को अदालत ने साफ तौर पर नकार दिया।

ईडी ने जमानत के लिए सिसोदिया को निचली अदालत में जाने की बात कही थी। अदालत ने साफ कहा कि केंद्रीय एजेंसियों की मिलीभगत का यह खेल स्पष्ट है।

जांच में जबरन विलंब के बहाने बनाकर किसी को अनिश्चितकाल तक जेल में बंद नहीं रखा जा सकता है। किसी को भी जेल में रखना संविधान के तहत उसे मिले अधिकार का हनन है।

दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने मनीष सिसोदिया के इस अधिकार का हनन किया है। दूसरी तरफ जांच जारी होने की दलील देने के बाद भी वे अदालत में स्वीकार्य होने लायक कोई सबूत नहीं पेश कर पाये हैं।

52 वर्षीय सिसोदिया आप के कई नेताओं में से एक हैं, जिन पर शराब परमिट बांटने के दौरान रिश्वत लेने का आरोप है। पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मार्च से ही इन्हीं आरोपों में जेल में हैं, सिवाय कुछ समय के लिए जब उन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए रिहा किया गया था।

आम आदमी पार्टी (आप) ने आज दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत करार दिया। कथित शराब नीति मामले में गिरफ्तारी के करीब 18 महीने बाद श्री सिसोदिया को जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए आप नेता राघव चड्ढा ने कहा, आज पूरा देश खुश है क्योंकि दिल्ली शिक्षा क्रांति के नायक मनीष सिसोदिया को जमानत मिल गई है। मैं माननीय सुप्रीम कोर्ट का दिल से आभार व्यक्त करता हूं। मनीष जी को 530 दिनों तक सलाखों के पीछे रखा गया। उनका अपराध यह था कि उन्होंने गरीबों के बच्चों को बेहतर भविष्य दिया। प्यारे बच्चों, आपके मनीष चाचा वापस आ रहे हैं।

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