विश्वासमत जीतने में विपक्ष हो गया गायब
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हेमंत के पक्ष में 45 विधायक रहे
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ऑपरेशन लोट्स फेल का नारा लगा
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चंपई सोरेन का आभार जताया
राष्ट्रीय खबर
रांचीः हेमंत सोरेन के विश्वासमत को लेकर पहले भी कोई संदेह नहीं था क्योंकि इसके लायक पर्याप्त संख्याबल गठबंधन के पास पहले से मौजूद था। इसके बाद भी भाजपा खेमा की तरफ से कल रात भी राष्ट्रपति शासन लगाने की चर्चा कर माहौल को गर्म करने की भरसक कोशिश की गयी थी। आज विधानसभा में शक्ति परीक्षण के मौके पर हेमंत के मुकाबले कोई विपक्ष ही नहीं था।
हेमंत सोरेन की सरकार विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान फ्लोर टेस्ट में 45 विधायकों के समर्थन से पास हो गई। हेमंत सोरेन ने इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का आभार व्यक्त किया। पिछले दिनों हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके बाद हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
हेमंत सोरेन को 28 जून को जेल से रिहा कर दिया गया, जब झारखंड हाई कोर्ट ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत दे दी। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 31 जनवरी को उनकी गिरफ्तारी से कुछ वक्त पहले ही उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
उस वक्त भी हेमंत सोरेन ने विधानसभा के अंदर अपने खिलाफ आरोप को प्रमाणित करने की चुनौती दी थी। उन्होंने आवेश में कहा था कि अगर जमीन खरीदने का आरोप प्रमाणित हो गया तो वह राजनीति ही नहीं बल्कि झारखंड भी छोड़ देंगे। बाद में झारखंड उच्च न्यायालय ने हेमंत के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं होने की वजह से उन्हें जमानत दे दी।
81 सदस्यीय विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया और उनके समर्थन में 45 विधायकों का साथ मिला। झारखंड विधानसभा में मौजूदा वक्त में 76 विधायक हैं। सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन ने 3 जुलाई को जब हेमंत सोरेन सरकार बनाने का दावा पेश किया था, तब राज्यपाल को 44 विधायकों के समर्थन की लिस्ट सौंपी थी।
विधानसभा में विश्वास मत के दौरान विपक्ष के लोग नारे लगा रहे थे। हेमंत सोरेन ने विधानसभा में कहा कि जो लोग नारे लगा रहे हैं, उनमें से आधे चुनाव के बाद विधानसभा में वापस नहीं आ पाएंगे। झारखंड में भाजपा का ऑपरेशन लोटस बुरी तरह फेल रहा। हमारे लोग साथ रहे। वोटों का डिवीजन जल्द ही शुरू होगा। इसके बाद विपक्ष ने वहिष्कार किया जब वोट विभाजन होने की बारी आयी तो वह सदन से बाहर चले गये। वैसे भी संख्याबल स्पष्ट तौर पर हेमंत सोरेन के पक्ष में होने की वजह से इस परिणाम को लेकर किसी को पहले से ही कोई संदेह नहीं था।
वैसे हेमंत सोरेन के जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद इस किस्म के बदलाव की उम्मीद नहीं थी। खुद हेमंत सोरेन ने भी इसका संकेत दिया था कि चंपई सोरेन ही राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे जबकि वह संगठन को मजबूत करने का काम देखेंगे। इसके बाद दिल्ली से सोनिया गांधी के एक फोन ने इस स्थिति में बदलाव करने की नौबत ला दी।
आनन फानन में विधायकों की बैठक बुलाकर हेमंत सोरेन को सत्ता पक्ष का नेता चुन लिया गया। वैसे अचानक के इन घटनाक्रमों से चंपई सोरेन थोड़े परेशान अवश्य हुए फिर भी शिबू सोरेन के समय से पार्टी से जुड़े रहे नेता ने बहुमत के निर्णय को स्वीकार किया। इसके बाद हेमंत ने राजभवन जाकर अपनी दावेदारी पेश कर दी थी। स्थिति स्पष्ट होने की वजह से राज्यपाल ने भी उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी थी तथा नियम के मुताबिक सदन के भीतर बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। बहुमत साबित करने का यह काम भी आज पूरा हो गया।