Breaking News in Hindi

जेल में ही रहेंगे अरविंद केजरीवाल

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत पर रोक लगायी


  • ट्रायल कोर्ट का फैसले पर रोक

  • अदालत ने दिमाग नहीं लगाया

  • काफी अधिक साक्ष्य की अनदेखी


राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः अरविंद केजरीवाल को लेकर सुनवाई को आगे लाने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज जमानत पर फैसला सुनाते हुए इस पर रोक लगा दी। अपने किस्म के अजीब फैसले में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत का लिखित आदेश आने के पहले ही ईडी की दलीलों को सुनने और स्वीकार करने का काम किया था। इसे लेकर नीचे से ऊपर तक काफी आलोचना भी हुई थी।

अनेक विधि विशेषज्ञों ने जिस तरीके से जमानत पर रोक लगायी गयी थी, उसे गलत माना था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया था, जहां शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद इस पर सुनवाई करने की बात कही थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद सुनवाई की तिथि एक दिन आगे कर दी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने आज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें जमानत देने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन की अवकाश पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें 20 जून के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने ईडी के इस आरोप से सहमति जताई कि ट्रायल कोर्ट ने जांच एजेंसी को ठीक से नहीं सुना।

अरविंद केजरीवाल, जो आप के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं, को 21 मार्च को दिल्ली शराब नीति से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें मई में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी। वह 2 जून को जेल वापस आ गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल निचली अदालत के आदेश पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद जेल में ही रहेंगे, जिसने कथित शराब नीति मामले में उन्हें नियमित जमानत दी थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, ट्रायल कोर्ट द्वारा यह टिप्पणी कि बहुत बड़ी सामग्री पर विचार नहीं किया जा सकता, अनुचित है और यह दर्शाता है कि ट्रायल कोर्ट ने सामग्री पर अपना दिमाग नहीं लगाया है।” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने के बाद जेल में रहना होगा, जिसने कथित शराब नीति मामले में उन्हें नियमित जमानत दी थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा, ट्रायल कोर्ट द्वारा यह टिप्पणी कि बहुत बड़ी सामग्री पर विचार नहीं किया जा सकता, अनुचित है और यह दर्शाता है कि ट्रायल कोर्ट ने सामग्री पर अपना दिमाग नहीं लगाया है।

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।