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मोदी का शपथ ग्रहण अब नौ जून को

सहयोगी दलों ने अंदरखाने चालू कर दिया है मोल भाव


  • घटक दलों की बड़ी मांगों से परेशानी

  • बड़े विभाग दे दिये तो भाजपा को घाटा

  • फिलहाल मोल भाव का दौर जारी है यहां


राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शपथ ग्रहण समारोह 9 जून को हो सकता है। पहले यह समारोह 8 जून को होना था, लेकिन अब यह रविवार शाम 6 बजे हो सकता है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल सहित विश्व के कई नेता इस समारोह में शामिल होने वाले हैं, जिसमें 8,000 से अधिक गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे।

सूत्रों का कहना है कि अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए अंतिम तिथि और समय पर अभी भी काम चल रहा है। आज दिन के अंत तक उनके कार्यक्रम आने के बाद अंतिम तिथि और समय तय किया जा सकता है। रविवार सुबह राष्ट्रपति भवन में समारोह आयोजित किए जाने की भी संभावना है, क्योंकि रविवार शाम तक कई गणमान्य व्यक्तियों को जाना पड़ सकता है।

इस बीच, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू का शपथ ग्रहण 9 जून से 12 जून तक टल सकता है, क्योंकि उन्हें पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होना है।

टीडीपी प्रवक्ता के पट्टाभि राम ने कहा कि नायडू नई दिल्ली में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के बाद जल्दबाजी में अमरावती पहुंचने से बचना चाहते हैं। टीडीपी प्रमुख ने राज्य की राजधानी में होने वाले समारोह में कई भाजपा नेताओं को भी आमंत्रित किया है। उनका शपथ ग्रहण समारोह संभवतः 12 जून को होगा। चंद्रबाबू एनडीए संसदीय दल की बैठक के लिए 7 जून को दिल्ली में होंगे और 8 जून को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। इसके एक दिन बाद वे अमरावती लौटेंगे और 12 जून को शपथ ग्रहण करेंगे।

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही राजधानी दिल्ली में राजनीतिक हलचल तेज है। बुधवार को दिल्ली में एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों ने अलग-अलग बैठकें कीं। दोनों ही गठबंधनों में अपने-अपने सहयोगी दलों के बीच भविष्य की रणनीति पर चर्चा हुई। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में पीएम आवास पर हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वर्तमान लोकसभा को भंग करने की सिफारिश को मंजूरी दे दी गई। उसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 17वीं लोकसभा को भंग कर दिया। राष्ट्रपति ने मोदी कैबिनेट की विदाई भोज भी दिया।

कहा जा रहा है कि इसमें इस बात पर भी चर्चा की गई कि एनडीए के सहयोगी दलों को कौन से मंत्रालय सौंपे जाने हैं। खबर है कि टीडीपी और जेडीयू ने गृह, रक्षा, वित्त, रेल जैसे बड़े मंत्रालयों की मांग रख दी है। इस वजह से भाजपा के अंदर बेचैनी है क्योंकि इसके बाद कई महत्वपूर्ण विभागों पर खुद श्री मोदी का कोई नियंत्रण ही नहीं रह जाएगा।

एनडीए की बैठक के दौरान नीतीश कुमार ने कार्यवाहक पीएम नरेंद्र मोदी को कहा, जल्दी कीजिए। सरकार बनाने में देरी नहीं होनी चाहिए। हमें ऐसा जल्द से जल्द करना चाहिए। उनके इस बयान से भाजपा खुश होगी, क्योंकि ये उनके एनडीए से बाहर नहीं जाने का बड़ा सबूत है। बैठक में एनडीए के सहयोगियों ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना है।

एनडीए के 21 सदस्यों द्वारा साइन किए गए प्रस्ताव में कहा गया है, हमने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुना है। बैठक में नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू नेता लल्लन सिंह और संजय झा शामिल थे। एनडीए की मीटिंग में सभी की निगाहें जेडीयू के नीतीश कुमार और टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू पर थी, जो इस बार सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं।

दरअसल, टीडीपी ने आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से 16 सीटें जीतीं, जबकि जेडीयू ने बिहार की 40 में से 12 सीटें जीतीं। भाजपा इस बार केवल 240 लोकसभा सीटों पर जीत के साथ बहुमत से पीछे रह गई है। सहयोगियों की मदद से एनडीए ने 293 सीटें हासिल की हैं और बहुमत के आंकड़े को पार किया है।

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