चुनाव आयोग पर लगातार लग रहे आरोपों के बीच अदालत
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः चुनाव आयोग लगातार आरोपों के घेरे में है। पहले दो चरणों के मतदान का आंकड़ा देर से जारी होने तथा प्रतिशत बदल जाने की वजह से यह आरोप लगा है। खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे यह कह चुके हैं कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता बहुत घट चुकी है। इसके बीच ही शीर्ष अदालत ने आयोग को डाले गए वोटों का प्रतिशत प्रकाशित करने की समय सीमा तय की है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में पहले दो दौर के मतदान में अनियमितताओं के आरोप में चुनाव आयोग के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। विपक्ष ने इस संबंध में शीर्ष अदालत में एक जनहित मामला भी दायर किया। शुक्रवार को मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग के लिए मतदान प्रतिशत प्रकाशित करने की समय सीमा तय की।
इस दिन कोर्ट ने कहा कि अगले दौर के मतदान के मामले में आयोग को चुनाव खत्म होने के 48 घंटे के भीतर अंतिम मतगणना की जानकारी देनी चाहिए। देश में पहले दौर का मतदान 19 अप्रैल को हुआ था। शीर्ष अदालत में दायर शिकायत के मुताबिक, पहले दौर के मतदान के 11 दिन बाद आयोग ने मतदान के अंतिम आंकड़े सामने रखे हैं। इसी तरह दूसरे चरण की वोटिंग के 4 दिन बाद आंकड़े जारी किए गए।
आमतौर पर चुनाव के दिन चुनाव आयोग शाम पांच बजे तक डाले गए वोटों की संख्या प्रकाशित कर देता है। बाद में अंतिम वोट दर की घोषणा की गई। ऐसे में पहले दो चरण के मतदान में 5 से 7 फीसदी वोटों की बढ़ोतरी पर विपक्ष ने धांधली का आरोप लगाया। तृणमूल नेताओं सहित विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि जो लोग शाम 5 बजे के बाद मतदान लाइन में रहे, उन्हें बाद में अंतिम सूची में जोड़ा गया।
लेकिन किसी भी तरह से यह संभव नहीं है कि वोट दर 5 से 7 फीसदी हो। विपक्ष ने आगे आरोप लगाया कि जहां भाजपा को कम मतदान हुआ था, वहां आयोग ने नोटिस जारी कर अचानक मतदान बढ़ा दिया है।
उसके बाद, आयोग द्वारा प्रकाशित अंतिम वोट दर में हेरफेर का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित मामला दायर किया गया था। सुनवाई के दौरान आयोग ने अदालत को बताया कि अंतिम मतदाता सूची तैयार करने में कुछ आधिकारिक कार्य शामिल हैं। मतदान के बाद उन्हें ख़त्म करने में एक और दिन बीत जाता है। उसके बाद, अदालत ने कहा, आयोग को मतदान समाप्त होने के 48 घंटों के भीतर अंतिम मतदाता मतदान प्रकाशित करना होगा।