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रात बाकी है बात बाकी .. .. .. ..

एक तो बीत गयी पर यह चुनावी मौसम है और छह रातें और बाकी हैं। रेस में शामिल दलों और नेताओं को इन अगले छह रातों के लिए भी रतजगा करना पड़ेगा। पहली बारी तो लगभग शांति से निपट गयी। पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों से अप्रिय सूचनाएं आयी हैं और वोट वहिष्कार भी हुआ है। सभी घटनाओं के अपने अपने कारण और इतिहास हैं। र भी कुल मिलाकर पहले चरण के मतदान का विवरण इस प्रकार है। लोकसभा चुनाव में शुक्रवार को पहले चरण की वोटिंग हुई लोकसभा चुनाव के पहले चरण में देश के 21 राज्यों में 102 सीटों पर वोट डाले गए हैं। वोटिंग शुरू होने के बाद पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा से लेकर मेघालय में वोटिंग देखने को मिली।

वहीं, यूपी-बिहार और मध्यप्रदेश में भी वोटरों में जोश देखने को मिला। पहले चरण में पश्चिम बंगाल की 4, यूपी की 8 और बिहार में 4 सीटों पर वोट डाले गए हैं। इसके अलावा तमिलनाडु (39) और उत्तराखंड (5 सीट) की सभी सीटों पर वोटिंग हुई है। अब सवाल है कि बंपर वोटिंग से किसे फायदा होगा। राजनीति के जानकारों के अनुसार आमतौर पर अधिक वोटिंग या वोटिंग प्रतिशत बढ़ने को सत्ता पक्ष के खिलाफ जनाक्रोश के रूप में देखा जाता है।

माना जाता है कि लोग मौजूदा सरकार को बदलने के लिए अधिक वोट करते है। अधिक वोटिंग प्रतिशत को सरकार बदलने का पर्याय माना जाता है। हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में यह ट्रेंड बदला है। यदि लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 के आंकड़ों को देखें तो अधिक वोटिंग प्रतिशत के बावजूद केंद्र में एनडीए की सत्ता में वापसी हुई है। 2014 के 66.4 फीसदी के मुकाबले 2019 में 67.3 फीसदी वोट पड़े थे। इसके बावजूद केंद्र में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी। हालांकि, यदि 2009 के वोटिंग प्रतिशत की तुलना करें तो 2014 में अधिक वोटिंग से सत्ता में बदलाव हुआ। 2014 में 2009 के 58.2 फीसदी के मुकाबले 66.4 फीसद वोट पड़े थे।

इसी बात पर अमिताभ बच्चन की एक सुपरहिट फिल्म नमक हलाल का यह गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था अंजान ने और संगीत में ढाला था बप्पी लाहिड़ी ने। इसे आशा भोंसले और खुद बप्पी लाहिड़ी ने स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं।

रात बाकी.. बात बाकी..
होना है जो हो जाने दो

रात बाकी बात बाकी
होना है जो हो जाने दो
सोचो ना देखो तो
देखो हाँ जाने-जां
मुझे प्यार से

सोचो ना देखो तो
देखो हाँ जाने-जां
मुझे प्यार से
रात बाकी बात बाकी
होना है जो हो जाने दो
ला ला ला..

कश्ती जवां दिल की तूफां से टकरा गयी
मंज़िल मोहब्बत की अब तो करीब आ गयी

कश्ती जवां दिल की तूफां से टकरा गयी
मंज़िल मोहब्बत की अब तो करीब आ गयी
आ देखले है क्या मज़ा
दिल हार के
रात बाकी बात बाकी
होना है जो हो जाने दो
सोचो ना देखो तो
देखो हाँ जाने-जां
मुझे प्यार से

हे हो हो हो आ हा हा हा..

आगाज़ ये है तो अंजाम होगा हसीं
दीवाने परवाने मरने से डरते नहीं
आगाज़ ये है तो अंजाम होगा हसीं
दीवाने परवाने मरने से डरते नहीं

आ दिलरुबा खुल के ज़रा
मिल यार से
रात बाकी बात बाकी
होना है जो हो जाने दो

सोचो ना देखो तो
देखो हाँ जाने-जां
मुझे प्यार से

सोचो ना देखो तो
देखो हाँ जाने-जां
मुझे प्यार से

रात बाकी ला ला ला बात बाकी
होना है जो हो जाने दो

अभी छह चरण और बाकी हैं और इंडिया का मैंगो मैन दरअसल अंदर ही अंदर क्या सोच रहा है, यह बात अब बाहर नहीं आ पाती है। अलबत्ता ऐसा जरूर है कि प्रायोजित तौर पर इलेक्शन सर्वेक्षण की खबरें छापी जा रही है।

इधर अपने रांची में उलगुलान रैली भी टेंशन बढ़ाने वाली बात है। बेचारों ने समझा था कि हेमंत सोरेन को जेल में डाल देंगे तो मामला ठंढा पड़ जाएगा। इधर तो सब कुछ उल्टा होने लगा है। कल्पना सोरेन अब मोर्चे पर आ डटी हैं और दूसरे तरीके से चुनौती दे रही हैं।

यानी मोदी बाबा का टेंशन कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बात चीत से अइसा लगता है कि भाजपा वाले भी अंदर ही अंदर मान चुके हैं कि चार सौ पार का नारा भी एक जुमला है। फिलहाल तो 272 से आगे रहने की बड़ी चुनौती सामने है। कहां से यह पूरा होगा, इस पर माथापच्ची में चुनावी उत्सव की छह और रातें काली होंगी।

साफ है कि लोकप्रियता में मोदी जी के आगे कोई नहीं है पर खुद भाजपा के लोग भी दबी जुबान से यह मानते हैं कि इस बार मोदी लहर नहीं है। ऊपर से चुनावी बॉंड के खेल ने भाजपा की खीर में मिट्टी तेल मिला दिया है। खैर छह रातों के बाद देखते हैं बाजी किसके हाथ लगती है।

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