चुनावी चंदे का गोलमाल सोच ही बदलने वाला है। बाकी सब की छोड़ दीजिए पहले दिल्ली शराब घोटाला की बात कर लें। आरोप है कि पैसा दिया, पैसा लिया और गोवा में खर्च कर दिया। पैसा जहां से आया बताया गया था, वे लोग तो भाजपा की शरण में दिख रहे हैं। जो सरकारी गवाह बना वह भी भाजपा को चंदा देकर और सरकारी गवाह बनकर बच गया। जो जेल में हैं, उन्हें अब साबित करना है कि वे बेकसूर है। खास कानून की इस पेंच को बदलने की जरूरत है क्योंकि इसमें अब कोई संदेह नहीं कि वाशिंग मशीन की तरफ भागम भाग की एक वजह गिरफ्तारी से बचना भी है।
एक संजय सिंह को जमानत मिल गयी तो बाहर आकर कोहरम मचा रहे हैं। भाजपा वाले यह नहीं बता रहे है कि रेड्डी से 55 करोड़ चंदा क्यों लिया था। इसलिए हर सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है जो जानना अब जरूरी हो गया है। लगातार इधर उधर की बात करने से बेहतर है कि मुद्दों पर बात हो वरना पूरी पब्लिक बार बार कनफुजिया जाएगी, अइसा पॉसिबुल नहीं है।
इसी बात पर फिल्म गोलमाल का यह टाईटल गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था गुलजार ने और संगीत में ढाला था राहुल देव वर्मन ने। इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।
गोल माल है भइ सब गोल माल है -2
अरे गोल माल है भइ सब गोल माल है
हर सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
गोल माल है भइ सब गोल माल है
गोल माल गोल माल है
गोल माल है सब गोल माल है
भूख रोटी की हो तो पैसा कमाइये
पैसा कमाने के लिये भी पैसा चाहिये
माँगे से ना मिले तो पसीना बहाइये
बहता है जब पसीना तो रूमाल चाहिये
हो गोल माल है भइ सब गोल माल है
गोल माल गोल माल है
गोल माल है भइ सब गोल माल है
हर सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
गोल माल है भइ सब गोल माल है
गोल माल गोल माल है
गोल माल है सब गोल माल है
रूमाल बन गया भी गर कमीज़ फाड़ कर
कमीज़ के लिये भी तो फिर कपड़ा चाहिये
अरे कपड़ा किसी ने दान ही में दे दिया चलो
दर्ज़ी के पास जा के वो पहले सिलाइये
हो गोल माल है भइ सब गोल माल है
गोल माल गोल माल है
गोल माल है भइ सब गोल माल है
हे हे हे हे
हर सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
गोल माल है भइ सब गोल माल है
गोल माल गोल माल गोल माल गोल
गोल माल है सब गोल माल है
बिन सिली कमीज़ पे तो कुछ नहीं लिया
सिली हुई कमीज़ पे सिलाई चाहिये
सिलाई देने के लिये फिर पैसा चाहिये
पैसा कमाने के लिये फिर पैसा चाहिये
हो गोल माल है भइ सब गोल माल है
गोल माल गोल माल
गोल माल है भइ सब गोल माल है
हे हे हे हे
हर सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
सीधे रस्ते की एक टेढ़ी चाल है
गोल माल है भइ सब गोल माल है
गोल माल माल गोल गोल गोल गोल
गोल माल है सब गोल माल है
गोल माल है
पांच साल से ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स सुनते आ रहे हैं। अब इन एजेंसियों से कहा जाए कि वह अब तक के सारे मामलों पर करंट जानकारी दें। नहीं तो यह सूरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही चला जाएगा।
लगे हाथ इलेक्शन की भी बात कर लें तो लगता है कि मोदी जी ही फिर आयेंगे। इससे अलग हटकर असली सवाल उनके चार सौ पार के नारे का है। जिस तरीके से तमाम कोशिशों के बाद भी ऑपोजिशन ने एक मजबूत पोजिशन ले लिया है, उससे यह सवाल खड़ा होता है कि यह चार सौ पार की सीटें कहां से आयेंगे। 2019 के बाद से गंगा से बहुत पानी बह चुका है। पुराने सहयोगी अलग हो चुके हैं। नये सहयोगियों को तोड़कर लाया तो गया है पर वे कितने मजबूत साबित होंगे, इस पर हमलोगों को क्या खुद मोदी जी को भी संदेह है। नमूना के तौर पर झारखंड को ही लें। भाजपा को पिछली बार 12 सीटें मिली थी। अब गीता कोड़ा भाजपा में है तो कुल मिलाकर 14 हो जाता है। हेमंत के जेल जाने के बाद इसका आधा भी मिल पायेगा, इस पर खुद भाजपा वालों को संदेह है।