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केजरीवाल को नहीं हटायेगी अदालत

दिल्ली के लिए भाजपा की चाल फिर से नाकाम


  • यह अदालत के देखने का काम नहीं

  • एक जैसी दूसरी याचिका खारिज हुई

  • बाहर निकलकर गरजे सांसद संजय सिंह


राष्ट्रीय खबर

नयी दिल्ली: अब अदालतों से भाजपा को अपेक्षित फैसले नहीं मिल रहे हैं। दरअसल अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देने से सबसे अधिक परेशानी भाजपा को है। इसलिए वह चाहती है कि किसी भी तरीके से केजरीवाल को मुख्यमंत्री के पद से हटाया जाए।

इसी कड़ी में दिल्ली उच्च न्यायालय ने शराब नीति में कथित घोटाले से संबंधित धनशोधन के मामले में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री के पद से हटाने का निर्देश देने की मांग वाली दूसरी जनहित याचिका भी गुरुवार को खारिज कर दी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की याचिका पर यह कहते हुए विचार करने से इनकार कर दिया कि यह उपराज्यपाल या राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में आता है। न्यायालय ने हालांकि टिप्पणी की कि यह मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पद पर रहना चाहिए या नहीं।

पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, कभी-कभी व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित के अधीन होना पड़ता है, लेकिन यह उनका (केजरीवाल का) व्यक्तिगत फैसला है। पीठ ने कहा वह सिर्फ इतना कह सकती है कि इस मुद्दे पर वह फैसला नहीं कर सकती और इस मामले में पर फैसला लेना दिल्ली के उपराज्यपाल या भारत के राष्ट्रपति  पर निर्भर है।

न्यायालय ने आगे कहा, हम यह कैसे घोषित कर सकते हैं कि सरकार काम नहीं कर रही है? उपराज्यपाल इस पर निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम हैं। उन्हें (उपराज्यपाल ) हमारे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं है। हम उन्हें सलाह देने वाले कोई नहीं हैं। उन्हें जो भी करना होगा वह कानून के अनुसार करेंगे।

अदालत के इस रुख पर याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने की गुहार लगाई गई, जिसे मंजूर कर लिया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अब उपराज्यपाल के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे। इससे पहले 28 मार्च को उच्च न्यायालय की इसी पीठ ने अपने को किसान और सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले दिल्ली निवासी सुजीत सिंह यादव की याचिका यह कहते हुए ठुकरा दी थी कि इस मुद्दे की जांच करना कार्यपालिका और राष्ट्रपति का काम है।

अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। श्री यादव ने याचिका में दावा किया था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी केजरीवाल को मुख्यमंत्री जैसे सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। श्री केजरीवाल को केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। एक अप्रैल से विरोध अदालत ने उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

ईडी ने श्री केजरीवाल पर दिल्ली शराब नीति 2021-2022 (विवाद के बाद रद्द कर दी गई थी) के माध्यम से गलत तरीके से करोड़ों रुपए हासिल करने के लिए मुख्य भूमिका निभाने वाला साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने 21 मार्च 2024 को दिल्ली के मुख्यमंत्री  केजरीवाल और उनसे पहले 15 मार्च को भारत राष्ट्र समिति की नेता के. कविता को गिरफ्तार किया था।

दोनों न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं।  केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 17 अगस्त 2022 को वर्ष 2021-22 की उत्पाद शुल्क नीति (शराब नीति) बनाने और उसके कार्यान्वयन में की गई कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था।  इसी आधार पर ईडी ने 22 अगस्त 2022 को मामला दर्ज किया था। ईडी का दावा है कि आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया सहित अन्य ने अवैध कमाई के लिए साजिश रची थी।

गौरतलब है कि इस मामले में आप सांसद संजय सिंह को उच्चतम न्यायालय ने दो अप्रैल को राहत दी। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत की अनुमति दी थी और विशेष अदालत से उसकी शर्ते तय करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के मद्देनजर राऊज एवेन्यू स्थित काबेरी बावेजा की विशेष अदालत ने चार अप्रैल को सशर्त तिहाड़ जेल से रिहा करने का आदेश पारित किया था। इसके बाद वह गुरुवार रात में ही रिहा कर दिए गए। जेल से बाहर आते ही संजय सिंह ने देर रात को कार्यकर्ताओं की एक बड़ी सभा को संबोधित किया और सभी से पूरी ताकत के साथ चुनाव में जुट जाने की अपील की थी।

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